अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. मंदिर में स्थापित की जाने वाली रामलला की मूर्ति के लिए नेपाल की गंडकी नदी के शालिग्राम पत्थर लाए जा रहे हैं. इन पत्थरों से ही मूर्ति तैयार की जाएगी. ये पत्थर दो टुकड़ों में है, और इन दोनों शिलाखंडों का कुल वजन 127 क्विंटल है.

जानकारी के मुताबिक, दो दिन पहले नेपाल में पोखरा के पास गंडकी नदी से शालिग्राम पत्थर की दोनों शिलाओं को क्रेन की मदद से ट्रक में लोड किया गया था. इन पत्थरों को सबसे पहले पोखरा से नेपाल के जनकपुर लाया गया है. जनकपुर के मुख्य मंदिर में पूजा-अर्चना की गई. शुक्रवार को इन शिलाखंडों का दो दिवसीय अनुष्ठान प्रारंभ हुआ.

जनकपुर में विशेष अनुष्ठान और पूजन के बाद 30 जनवरी की सुबह लगभग 8.30 बजे शालिग्राम शिलाएं बिहार के मधुबनी जिले के बॉर्डर से भारत में प्रवेश करेंगी. मधुबनी से साहरघाट प्रखंड पहुंचेंगी. वहां से कंपोल स्टेशन होते हुए दरभंगा के माधवी से फोरलेन पकड़कर मुजफ्फरपुर पहुंचेगी. मुजफ्फरपुर से त्रिपुरा कोठी गोपालगंज होते हुए सासामुसा बॉर्डर से यूपी में प्रवेश करेंगी.

गोरक्षपीठ में होगी शिलाखंडों की पूजा

31 जनवरी को करीब 2 बजे ये शिलाएं गोरखपुर के गोरक्षपीठ पहुंचेंगी. जहां इन शालिग्राम शिलाओं की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना होगी. बताया जा रहा है कि इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वहां मौजूद रह सकते हैं. 31 जनवरी को शिला लेकर आ रहा पूरा काफिला गोरक्षपीठ मंदिर में ही विश्राम करेगा. गोरखपुर से चलकर 2 जनवरी को यह शिलाएं अयोध्या पहुंचेंगी. अयोध्या में भी संतों-महंतों द्वारा इसका विधिवत पूजन-अर्चन किया जाएगा.

शालिग्राम पत्थरों को कहा जाता है देव शिला

शालिग्राम पत्थरों को शास्त्रों में विष्णु स्वरूप माना जाता है. वैष्णव शालिग्राम भगवान की पूजा करते हैं, इसलिए यह पूरा पत्थर शालिग्राम है. इसे अधिकतर नेपाल की गंडकी नदी में पाया जाता है. हिमालय के रास्ते में पानी चट्टान से टकराकर इस पत्थर को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है, और नेपाल के लोग इन पत्थरों को खोज कर निकालते हैं, और उसकी पूजा करते हैं.

शिलाओं से ऐसे बनेगी रामलला की मूर्ति

अयोध्या पहुंचने के बाद शालिग्राम की इन शिलाओं से रामलला की मूर्ति तैयार की जाएगी. मूर्ति तैयार करने के लिए जिन मूर्तिकारों और कलाकारों का चयन किया गया है, वह पहले अपनी ड्रॉइंग और सैंपल श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को देंगे. जिसका भी ड्रॉइंग और सैंपल पसंद आएगा, उसी मूर्तिकार को शालिग्राम का यह पत्थर रामलला की मूर्ति बनाने के लिए दिया जाएगा. रामलला की मूर्ति 5 से साढ़े 5 फीट की बाल स्वरूप की होगी. मूर्ति की ऊंचाई इस तरह तय की जा रही है कि रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला के माथे पर पड़ें.

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