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Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या के राम मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश-दुनिया के राम भक्तों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है, प्राण प्रतिष्ठा के लिए अब सिर्फ 19 दिन बाकी हैं, लेकिन मंदिर प्रबंधन अभी तक मूर्ति का चयन नहीं कर पाया है. इससे पहले सोमवार को बीजेपी नेता केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के बयान के बाद मूर्ति के चयन को लेकर चर्चा शुरू हुई थी.
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दरअसल, बीजेपी नेता येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर (पहले ट्विटर) पर पोस्ट कर बधाई दी थी. उन्होंने कहा था कि उनके द्वारा बनाई गई प्रतिमा को अयोध्या के नए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है. इसके बाद देशभर में सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया तक यह खबर छाई रही. लेकिन अब मंदिर ट्रस्ट की और से इसे लेकर स्थिति को स्पष्ट किया गया है.
मूर्ति चयन पर ट्रस्ट का निर्णय उचित समय पर किया जाएगा सार्वजनिक
बता दें कि, मंदिर का निर्माण करा रहे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपने फैसले की घोषणा नहीं की थी. वहीं, अब राम मंदिर ट्रस्ट ने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लेने की बात कही है. मंदिर ट्रस्ट ने यह स्पष्ट किया है कि, तीन मूर्तिकारों के बीच मूर्ति का चयन किया गया था, लेकिन अंतिम चयन के लिए अभी भी इंतजार किया जा रहा है.
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ट्रस्ट पदाधिकारियों ने कहा कि मूर्ति के बारे में निर्णय काशी के आचार्य गणेश्वर शास्त्री शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती और अन्य संतों के परामर्श से लिया जाएगा. ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया- ट्रस्ट का जो भी निर्णय होगा, उसे उचित समय पर सार्वजनिक किया जाएगा. चयनित प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा. ट्रस्ट के अधिकारियों के मुताबिक, गर्भगृह के लिए मूर्ति का चयन करते समय उसकी चमक लंबे समय तक टिके रहने जैसे पहलुओं पर एक तकनीकी रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा जाएगा. मूर्ति के चयन के बाद 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एक समारोह में उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.
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पुरानी प्रतिमा को उत्सवों के लिए परिसर में रखा जाएगा
गौरतलब है कि साल 1949 से, श्रद्धालु रामलला की प्रतिमा वाले अस्थायी मंदिर में पूजा-अर्चना करते रहे हैं. इस मंदिर को भी मंदिर निर्माण के लिए स्थानांतरित कर दिया गया था, जो 2019 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद शुरू हुआ. शीर्ष अदालत ने अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद का निपटारा किया था. अब राम मंदिर ट्रस्ट के अधिकारियों का कहना है कि पुरानी “चल” मूर्ति को उत्सव के अवसरों के लिए परिसर में रखा जाएगा.
येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मूर्तिकार को “चयन” के लिए दी थी बधाई
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने सोमवार को सोशल मीडिया एक्स पर मूर्ति के चयन को लेकर पोस्ट किया था. बी एस येदियुरप्पा ने लिखा था- “मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई भगवान राम की मूर्ति को अयोध्या के भव्य श्री राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना गया है, जिससे राज्य के सभी राम भक्तों का गौरव और खुशी दोगुनी हो गई है. शिल्पी योगीराज अरुण को हार्दिक बधाई.” येदियुरप्पा के बेटे और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने भी योगीराज की सराहना की थी.
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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का पोस्ट –
मूर्ति स्वीकार किए जाने के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली – योगीराज
येदियुरप्पा से मूर्ति चयन की बधाई मिलने के बाद योगीराज ने उनका आभार जताया था, हालांकि उन्होंने बाद में एक इंटरव्यू में बताया कि, उन्हें अभी तक उनकी मूर्ति स्वीकार किए जाने के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. उन्होंने कहा- “मुझे खुशी है कि मैं देश के उन तीन मूर्तिकारों में शामिल था, जिन्हें ‘रामलला’ की मूर्ति तराशने के लिए चुना गया था.”
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तीन मूर्तिकारों ने बनाई मूर्तियां
गौरतलब है कि तीन मूर्तिकारों ने अलग-अलग पत्थरों पर अलग-अलग काम करके भगवान राम की मूर्तियां बनाई हैं. उनमें से दो के लिए पत्थर कर्नाटक से आया था और तीसरी मूर्ति राजस्थान से लाई गई चट्टान से बनाई जा रही थी. मूर्तियों की नक्काशी जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे और कर्नाटक के गणेश भट्ट और अरुण योगीराज ने की थी. ट्रस्ट के अधिकारियों के मुताबिक, गर्भगृह के लिए मूर्ति का चयन करते समय उसकी चमक लंबे समय तक टिके रहने जैसे पहलुओं पर एक तकनीकी रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा जाएगा.
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