अपनी मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया पर लाइक और फालोवर्स जुटाना डॉक्टरों को अब भारी पड़ेगा. ऐसा करने पर उनका लाइसेंस निलंबित हो सकता है. पहली बार सोशल मीडिया पर डॉक्टरों की गतिविधियों को पेशेवर आचार संहिता के दायरे में लाने के प्रयास शुरू हो गए हैं.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने डॉक्टरों के लिए पेशेवर आचार संहिता का जो मसौदा तैयार किया है, उसमें सोशल मीडिया पर डॉक्टरों की गतविधियों को नियंत्रित करने के सख्त प्रावधान रखे हैं. इसमें कहा गया है कि कोई भी डॉक्टर सोशल मीडिया साइट या एप पर ऊपर आने के लिए यदि लाइक एवं फालोवर्स बढ़ाने के लिए भुगतान करता है तो यह आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा.
दरअसल, कई एजेंसियां ऐसे हैं जो शुल्क लेकर लाइक और फालोवर्स बढ़ाती हैं. जिसे जितने ज्यादा लाइक मिलेंगे, वह प्राथमिकता से सोशल मीडिया पर सबसे ऊपर नजर आता है. इसका लाभ लेकर डॉक्टर अपनी फीस बढ़ा देते हैं.
नये प्रावधानों के तहत डॉक्टर सोशल मीडिया पर जरूरी सूचनाएं दे सकते हैं या कोई घोषणा कर सकते हैं, लेकिन वह सही होनी चाहिए. किसी भी रूप में भ्रामक और मरीजों को गुमराह करने वाली नहीं हो. लेकिन सोशल मीडिया पर मरीज को उपचार नहीं बताएंगे और न ही कोई दवा लिखेंगे. फिर भी यदि किसी डॉक्टर से सोशल मीडिया फोरम पर कोई मरीज उपचार पूछता तो डॉक्टर टेलीमेडिसिन के जरिये या उसे बुलाकर उपचार बता सकता है.