लखनऊ. अगर किसी महिला का पहला बच्चा समय से पहले यानी प्रीमेच्योर जन्म लेता है, तो दूसरी बार भी प्रीमेच्योर डिलीवरी की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. यह खुलासा किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के दंत संकाय और क्वीन मैरी अस्पताल के संयुक्त अध्ययन में हुआ है. शोधकर्ताओं ने 200 प्रसूताओं पर अध्ययन किया, जिनमें 100 महिलाओं का प्रसव समय से पहले हुआ था जबकि 100 का सामान्य. यह अध्ययन क्यूरियस जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
क्वीन मैरी महिला अस्पताल की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अंजू अग्रवाल ने बताया कि खराब जीवनशैली, तनाव और अनियमित दिनचर्या गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल रही है. इससे प्रीमेच्योर डिलीवरी के मामले तेजी से बढ़े हैं. अध्ययन में पाया गया कि पहली बार समय से पहले प्रसव होने वाली महिलाओं में दूसरी बार भी ऐसा होने का खतरा अधिक रहता है. डॉक्टरों ने यह भी बताया कि गर्भधारण के लिए महिलाओं की आदर्श उम्र 24 से 30 वर्ष के बीच मानी जाती है.
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कम उम्र या 30 वर्ष के बाद गर्भधारण करने पर जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही, पुरुषों में बढ़ती उम्र के साथ शुक्राणुओं की गुणवत्ता में कमी भी प्रजनन संबंधी समस्याओं का कारण बनती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि दंपतियों को सही उम्र और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर ही परिवार नियोजन करना चाहिए, ताकि मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य सुरक्षित रह सके.
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