महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार(Ajit Pawar) के बेटे से जुड़े मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। अजित पवार ने इस पूरे प्रकरण से खुद को अलग करते हुए दावा किया है कि पार्थ पवार को इस मामले की जानकारी नहीं थी। इसके बावजूद विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। इधर, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने भी इस मामले पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि यदि किसी मंत्री के बच्चे अवैध या गलत गतिविधियों में शामिल पाए जाते हैं, तो मंत्रियों को भी इसके लिए नैतिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

भ्रष्टाचार के खिलाफ कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व कर चुके सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने पुणे शहर में सरकारी जमीन से जुड़े 300 करोड़ रुपये के सौदे में अनियमितता के आरोपों पर नाराज़गी जताई है और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। अन्ना हज़ारे ने कहा, “यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर मंत्रियों के बच्चे गलत कामों में लिप्त हैं, तो इसके लिए मंत्रियों को ही दोषी ठहराया जाना चाहिए। सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं मूल्य जो परिवारों से आते हैं। ऐसी घटनाएँ मूल्य और नैतिकता की कमी के कारण होती हैं।”

अहिल्यानगर जिले के अपने पैतृक गाँव रालेगण सिद्धि में पत्रकारों से बातचीत करते हुए अन्ना हज़ारे ने कहा कि सरकार को ऐसे मामलों पर नीतिगत स्तर पर कड़े फैसले लेने चाहिए। उन्होंने कहा, “सरकार को नीतिगत फैसले लेने चाहिए और ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। जिन लोगों पर अनियमितताओं के आरोप साबित होते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।”

आपको बता दें कि डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे से जुड़े मामले के बीच महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया है। यह समिति पुणे में हुए सरकारी भूमि सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच करेगी। मामला लगभग 300 करोड़ रुपये के सौदे से जुड़ा बताया जा रहा है। अब समिति इस सौदे से संबंधित सभी दस्तावेज, प्रक्रिया और शामिल व्यक्तियों की भूमिका की जांच करेगी और सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

गौरतलब है कि पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में लगभग 300 करोड़ रुपये में 40 एकड़ जमीन की बिक्री के सौदे ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। यह जमीन अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी नाम की कंपनी को बेची गई थी, जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार भी भागीदार बताए जा रहे हैं। विवाद इसलिए गहराया है क्योंकि यह जमीन सरकारी भूमि होने का दावा किया जा रहा है। इसके साथ ही इस सौदे में स्टांप ड्यूटी माफ किए जाने का मामला भी सामने आया है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि जिस जमीन को 300 करोड़ रुपये में बेचा गया, उसकी वास्तविक बाजार कीमत करीब 1,800 करोड़ रुपये के आसपास थी।

राज्य के राजस्व एवं वन विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खरगे की अध्यक्षता में गठित समिति पुणे शहर के मौजे मुंधवा स्थित सर्वेक्षण संख्या 88 से संबंधित दस्तावेजों के अनधिकृत पंजीकरण की जांच करेगी। समिति यह भी पता लगाएगी कि भूमि सौदे की प्रक्रिया के दौरान कानूनी व प्रशासनिक नियमों का उल्लंघन तो नहीं हुआ और क्या इस सौदे के चलते राज्य के खजाने को वित्तीय नुकसान पहुँचा है। समिति को निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी।

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