रिपोर्ट- पं. वैभव बेमेतरिहा

रायपुर। लाजिमी है सवाल उठेंगे ही। क्योंकि बीते 7 साल तक जिनके प्रभार में प्रदेश कांग्रेस रही वो कांग्रेस एकजुट तो हो नहीं सकी, बल्कि टूट जरूर गई। लिहाजा एेसे में सबके जहन में ये सवाल तो उठ ही रहा होगा कि पुनिया की पुड़िया का कोई असर होगा या नहीं ? राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के भीतर चुनावी बेला में हरि को वापस बुलाकर उनकी जगह में पीएल पुनिया को नियुक्त कर दिया है। नियुक्ति की खबर तो आप सब जान ही चुके है। जानना तो सब यही चाह  रहे हैं कि पीसीसी की एकजुटता कभी पुख्ता तौर पर दिखती नहीं तो वो क्या पुनिया के आने से दिखेगी ? अगर वाकई ऐसा हो पाया तो यह पार्टी के लिए चमत्कार से कम नहीं होगा।

दरअसल बीते 7 साल से हरि जी का प्रसाद पाकर भी कांग्रेस के नेताओं के बीच गुटबाजी कायम रही है। हरि का प्रसाद बंटते रहा, लेकिन नेताओं के बीच मतभेद कभी कम नहीं हुए । अलबत्ता हुआ ये कि हरि के बंटते प्रसाद के बीच ही अजीत जोगी कांग्रेस से अलग हो गए। कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं का यह भी मानना रहा कि उन्हें अलग कर दिया गया। खैर अलग होना या करना तो कांग्रेस के अपने भीतर की कहानी है। लेकिन जो बाहर दिखा या उसका असर हुआ वो तो टूटती और बिखरती कांग्रेस ही रही है। यही नहीं हरि से प्रसाद पाने के बाद बहुत से बड़े नेता 2013 में विधानसभा से ही बाहर हो गए। फिर 2014 में भी कोई कमाल कांग्रेस के भीतर नहीं हो पाई। स्थानीय चुनाव में भी परिणाण अपेक्षा अनुरूप पार्टी की रही नहीं। मतलब रणनीतिक विफलता दिखती रही। अब इसमें दोष हरि की माने या प्रदेश के नेताओं की बीच आपसी तालमेल की। या ये कहे कि प्रसाद सबको बराबर रूप में बंट ही नहीं पाए। मतलब किसी को कम, किसी को ज्याद के चक्कर में कांग्रेस एक होकर भी एक ना हो पाई।

ऐसी परिस्थितियों के बीच राहुल गांधी ने एकता की दवा की पुड़िया के साथ पुनिया की नियुक्ति छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी के रूप में कर दी। पुनिया इस असरकारी पुड़िया के साथ 19 जुलाई को छत्तीसगढ़ पहुँच रहे हैं।  उनके साथ ही प्रभारी सचिव कमलेश्वर पटेल और अरूण उंराव का भी दौरा होने जा रहा है। 19 जुलाई को तीनों ही नेता एक साथ रायपुर पहुँच रहे हैं। तीन दिवसीय दौरे में पीएल पुनिया प्रदेश के नेताओं से मिलेंगे। पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। पुनिया की पहली प्राथमिकता कांग्रेस में गुटाबाजी खत्म कर उसे एक करने की है। पुनिया ये जानते हैं कि प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के बीच आपसी मतभेद भी खूब है। लिहाजा वे अपनी बैठक में इसे दूर करने की पूरी कोशिश करेंगे। 20 और 21 जुलाई को पुनिया लगातार पार्टी के सभी इकाई के नेताओं के साथ बातचीत करेंगे। इधर नए प्रदेश प्रभारी के भव्य स्वागत के निर्देश भी पार्टी कार्यकर्ताओं को दे दिए गए। पुनिया 19 जुलाई को शाम राजधानी रायपुर पहुँचेंगे। एयरपोर्ट पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से नए प्रभारी का स्वागत किया जाएगा। पुनिया अपने दौरे के दौरान पार्टी से जुड़े समाज के नेताओं से भी विशेष रूप से मिलेंगे। ताकि वे यहां जातीय संतुलन और समीकरणों का अंदाजा लगा सके। वहीं खबर यह भी कि नए प्रभारी के सामने कांग्रेस छोड़कर जा चुके कुछ बड़े नेताओं की वापसी हो सकती है। अब फिलहाल इंतजार पार्टी के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं को यही है कि पुनिया जी की पुड़िया का क्या कोई असर होगा या नहीं।