मुंबई के एक वकील नितिन एस. सतपुते ने महाराष्ट्र सरकार, बॉम्बे हाई कोर्ट और महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर पवई पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. यह मामला रोहित आर्या की मौत से जुड़ा है, जिसे मुंबई के पवई इलाके में एक स्टूडियो में 17 बच्चों और 2 वयस्कों सहित 19 लोगों को बंधक बनाने के बाद पुलिस ऑपरेशन के दौरान गोली मार दी गई थी.
31 अक्टूबर 2025 को लिखे अपने पत्र में सतपुते ने इस घटना को ‘फर्जी मुठभेड़’ बताया और इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की. उनका आरोप है कि पुलिस ने ‘मुख्य आरोपी को बचाने की आड़ में रोहित आर्या को मारा, जबकि वह सिर्फ एक बलि का बकरा था’.
‘अपनी नाकामी को छुपाने के लिए पुलिस ने किया एनकाउंटर’
वकील ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 61, 103, 198, 199 और 351 तथा बॉम्बे पुलिस एक्ट, 1951 की धारा 25 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की. उन्होंने कहा कि यह एनकाउंटर ‘बच्चों की सुरक्षा में नाकामी को छुपाने और दबाव में काम कर रही पुलिस की विफलता को ढकने के लिए किया गया.’
‘चाहती तो पुलिस रोहित आर्या को जिंदा पकड़ सकती थी’
सतपुते ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ’17 बच्चों और 2 वयस्कों के अपहरण के लिए जिम्मेदार है’ और दावा किया कि सरकार ने रोहित आर्या को 2 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया और उसके साथ धोखा किया. उन्होंने कहा कि आर्या इस रकम को लेकर तनाव में था और ‘पुलिस चाहती तो उसे पैर या निचले हिस्से में गोली मारकर जिंदा पकड़ सकती थी.’
पत्र में लिखा है कि आर्या ने अपनी बकाया राशि की मांग के लिए पहले भूख हड़ताल भी की थी. आरोप है कि ‘वह खुदकुशी करना चाहता था, लेकिन बाद में उसने बच्चों को बंधक बनाकर सरकार पर दबाव बनाने की योजना बनाई.’
‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की छवि पाने की मंशा’
सतपुते के अनुसार, पुलिस अधिकारी ‘उसे जिंदा पकड़ने में सक्षम नहीं थे और वे लोकप्रियता और ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ की छवि पाने की कोशिश कर रहे थे,’ जैसे, प्रदीप शर्मा, दया नायक, विजय सालसकर. उन्होंने डीसीपी दत्ता नलावड़े, एसआई जितेंद्र सोनावणे और एपीआई अमोल वाघमारे पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है.
उन्होंने सीबीआई से इस एनकाउंटर की जांच करने और इसमें शामिल पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने की मांग की. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने आर्या की पूर्व पत्नी को शिकायत दर्ज कराने के लिए उकसाया और झूठी शिकायत दर्ज की.
मकान मालिक से हुआ था विवाद
वहीं इस पूरे मामले में पुलिस के मुताबिक, रोहित आर्या और उसकी पत्नी अंजलि आर्या पुणे के कोथरुड इलाके के शिवतीर्थ नगर में किराये के मकान में रहते थे. 28 अक्टूबर 2024 को दोनों ने मकान मालिक देशपांडे के साथ 36 महीने का रेंट एग्रीमेंट किया था लेकिन समाज में उनके अनुचित व्यवहार और पड़ोसियों की शिकायतों के बाद, मकान मालिक ने उन्हें घर खाली करने का नोटिस जारी किया.
मकाल मालिक से विवाद की वजह से घर खाली करना पड़ा
2 मार्च 2025 को आर्या ने किराया देना बंद कर दिया और देशपांडे को उल्टा 2 लाख रुपये मुआवजे की मांग वाला नोटिस भेजा. कई दौर की बातचीत और लिखित समझौते के बाद भी वे घर खाली नहीं कर रहे थे. यहां तक कि मकान मालिक ने 1.75 लाख रुपये देने की सहमति भी जताई लेकिन फिर भी घर खाली करने को राजी नहीं थे. आखिरकार पुलिस हस्तक्षेप के बाद मई 2025 में उन्हें घर खाली कराना पड़ा.
घर खाली करने के बाद रिश्तेदार के साथ रह रहा था आर्य कपल
पुलिस सूत्रों के अनुसार, घर खाली करने के बाद से ही आर्या आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान था और अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहा था. शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि इसी मानसिक तनाव और बदले की भावना में उसने बंधक बनाने की योजना रची. फिलहाल पुलिस ने देशपांडे द्वारा दिए गए सभी दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए हैं और आरोपी की पृष्ठभूमि, मानसिक स्थिति और किसी बड़े साजिशी नेटवर्क की भूमिका की जांच कर रही है.
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