दिल्ली की जहरीली हवा से राहत देने के लिए दिल्ली सरकार अब कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) का सहारा लेने जा रही है। यदि मौसम अनुकूल रहा तो सरकार मंगलवार, 29 अक्टूबर को राजधानी में कृत्रिम बारिश का पहला परीक्षण कर सकती है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि इस परियोजना की समीक्षा बैठक निर्धारित की गई है, जिसमें कृत्रिम वर्षा की व्यवहार्यता और तकनीकी संभावनाओं का आकलन किया जाएगा।
सिरसा ने कहा, “दिल्ली में वायु प्रदूषण लगातार खतरनाक स्तर पर है। अगर मौसम साथ देता है तो हम कृत्रिम बारिश का ट्रायल कर सकते हैं। यह परीक्षण आगे बड़े पैमाने पर लागू करने की दिशा में पहला कदम होगा।कृत्रिम बारिश के लिए उड़ान कानपुर से दिल्ली पहुंचेगी। अगर मौसम अनुकूल रहा तो हम कृत्रिम बारिश का परीक्षण कर सकते हैं। हालांकि, सब कुछ मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है।”
कृत्रिम वर्षा प्रयोग की तैयारियां पूरी
अधिकारियों ने बताया कि यह परीक्षण सर्दियों के महीनों में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को कम करने की सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। सरकार का उद्देश्य राजधानी में बढ़ते PM 2.5 और PM 10 स्तरों को अस्थायी रूप से कम करना है। दिल्ली सरकार के मुताबिक, कृत्रिम वर्षा प्रयोग की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। पिछले हफ्ते बुराड़ी के ऊपर एक प्रारंभिक परीक्षण भी किया गया था, जो सफल रहा। अब बड़े पैमाने पर ट्रायल की तैयारी है।
कृत्रिम वर्षा के लिए वैज्ञानिक सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड जैसे रसायनों को बादलों में छोड़ेंगे, जिससे संघनन होकर बारिश होगी। इस प्रक्रिया से हवा में मौजूद धूल और जहरीले कण नीचे बैठ जाते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर घटता है।
अधिकारियों के अनुसार, परीक्षण के दौरान कृत्रिम वर्षा कराने के लिए ‘सिल्वर आयोडाइड’ और ‘सोडियम क्लोराइड’ यौगिकों की थोड़ी मात्रा का विमान से छिड़काव किया गया था। हालांकि, वायुमंडलीय नमी 20 प्रतिशत से भी कम होने के कारण बादलों में संघनन नहीं हो पाया और वर्षा नहीं हो सकी। विशेषज्ञों के मुताबिक, कृत्रिम वर्षा के लिए कम से कम 50 प्रतिशत वायुमंडलीय नमी आवश्यक होती है। ऐसे में अगले कुछ दिनों में मौसम में बदलाव आने पर दोबारा परीक्षण की संभावना जताई जा रही है।
IIT कानपुर के नेतृत्व में हो रही आर्टिफिशयल बारिश
परियोजना का नेतृत्व कर रहे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “इस उड़ान ने ‘क्लाउड सीडिंग’ के लिए जरूरी क्षमताओं, विमान की तत्परता एवं उड़ान अवधि, ‘सीडिंग’ उपकरणों और ‘फ्लेयर’ की कार्यक्षमता तथा इसमें शामिल सभी एजेंसियों के बीच समन्वय का आकलन करने के लिए एक परीक्षण मिशन के रूप में काम किया।” रिपोर्ट के अनुसार, इस ट्रायल ने यह सुनिश्चित किया कि भविष्य में जब मौसम अनुकूल होगा, तो क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया पूरी तरह तैयार रहेगी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछले हफ्ते ही संकेत दिए थे कि दिल्ली में कृत्रिम वर्षा का ट्रायल जल्द किया जा सकता है। उन्होंने बताया था कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 28 से 30 अक्टूबर के बीच उपयुक्त बादल बनने की संभावना जताई है। उन्होंने गुरुवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (X) पर लिखा था, “अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो दिल्ली में 29 अक्टूबर को पहली कृत्रिम बारिश हो सकती है।”
उत्तर पश्चिम दिल्ली के लिए बनाई गई योजना
दिल्ली सरकार ने इस परियोजना को लेकर 25 सितंबर को IIT कानपुर के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत कृत्रिम वर्षा के कुल पाँच परीक्षण किए जाने हैं, जिनकी सभी योजनाएं उत्तर-पश्चिम दिल्ली क्षेत्र में बनाई गई हैं। वहीं, नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने IIT कानपुर को 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच किसी भी समय परीक्षण करने की अनुमति दी थी।
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