इंसान ने एक-दूसरे पर विश्वास, भरोसा या यकीन करना शायद अपने आभिर्भाव के साथ ही अपना लिया होगा. जिसकी शुरुआत उसके जीवन में शैशवावस्ता से ही हो जाती रही है. वर्तमान समय, मूल रूप से प्रतिस्पर्धा प्रधान हो चुका है और एक-दूसरे से आगे निकलना ही एकमात्र ध्येय रह गया है. इसीलिए रिश्तों का कद दिनों दिन बौना होता जा रहा है. झूठ बोलना या धोखा देना कोई बड़ी बात नहीं रह गई है.
आम आदमी सब समझता है, जानता है, गुनता भी है पर पता नहीं क्यों मौका आने पर फिर झांसे में आ, विश्वास कर धोखा खा जाता है. जब तक होश संभालता है, तब तक तो काम हो चुका होता है और वह रह जाता है अपनी भूल की कीमत चुकाने को अगर आप भी लगातार विश्वासधात से प्रभावित हो रहे हो तो अपनी कुंडली में सप्तम स्थान का आकलन जरुर करा लें.
अगर आपके सप्तम स्थान में क्रूर ग्रह हो या सप्तमेश दूषित हो तो या शनि राहु जैसे ग्रहों के साथ हो तो अथवा सप्तम भाव सिर्फ शनि दृष्ट हो तो भी आपको अपने साथी, जिसमें विशेषकर जीवनसाथी एवं व्यवसायिक साथी से हानि या चोट का सामना करना पड़ सकता है. अगर इस प्रकार आप के साथ अक्सर होता हो तो आप सप्तम भाव में पड़ रहे शनि की दृष्टि का उपाय जरूर करा लें.
इसके लिए शनि के मंत्रों का जाप करना, काली तिल का दान करना एवं बीमारों के स्वास्थ्य लाभ हेतु चिकित्सा का प्रबंध विशेषकर दवाई का इंतजाम जरूर करना चाहिए. क्योंकि शनि आपके पूर्व जन्म का फल प्रदान करता है और आपको पूर्व जन्म में किए गए अपराधो की सजा देता है अतः इस जन्म में कष्टमुक्ति हेतु उक्त उपाय जरूर करें.