आज के भौतिक युग में प्रत्येक व्यक्ति की एक ही मनोकामना होती है की उसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ रहें तथा जीवन में हर संभव सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती रहे। किसी व्यक्ति के पास कितनी धन संपत्ति होगी तथा उसकी आर्थिक स्थिति तथा आय का योग तथा नियमित साधन कितना तथा कैसा होगा इसकी पूरी जानकारी उस व्यक्ति की कुंडली से जाना जा सकता है। व्यक्ति की कुंडली में क्रमशः दूसरे व ग्यारहवें भाव को धन स्थान व आय स्थान कहा जाता है। इसके साथ ही आर्थिक स्थिति की गणना के लिए चौथे व दसवें स्थान की शुभता भी देखी जाती है।
यदि इन स्थानों के कारक प्रबल हों तो अपना फल देते ही हैं। निर्बल होने पर अर्थाभाव बना रहता है विशेषतर यदि धनेश सुखेश या लाभेश छठे आठवें या बारहवें स्थान में हो या इसके स्वामियों से युति करें तो धनाभाव कर्ज व परेशानी बनी ही रहती है। जब भी आय में बाधा आयें या खर्चे बढ़ने लगे तो अपनी कुंडली का विश्लेषण कराकर आवश्यक ज्योतिषीय उपाय लेना चाहिए। जिसमें विशेषकर
शुक्रवार को किसी विवाहित स्त्री को सुहाग का सामान दान करें। सुहाग का सामान जैसे चूड़ियां, कुमकुम, लाल साड़ी। इस उपाय से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
शुक्र से शुभ फल पाने के लिए शुक्रवार को शुक्र मंत्र का जप करें। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। शुक्र मंत्र: द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
शुक्र ग्रह के लिए इन चीजों का दान भी किया जा सकता है. हीरा, चांदी, चावल, मिश्री, सफेद वस्त्र, दही, सफेद चंदन आदि। इन चीजों के दान से शुक्र के दोष कम हो सकते हैं और धन लाभ के योग बनेंगे.