रायपुर. शुचिनाम श्रीमतां गेहे योग भ्रष्ट प्रजायते अर्थात् जो परम् भाग्यशाली हैं वे श्रीमंतो के घर में जन्म लेते हैं. जिन बच्चों का ग्रह नक्षत्र उत्तम होता है, उनका जन्म तथा परवरिश भी उसी श्रेणी का होता है. कहा तो यह तक जाता है कि जिस व्यक्ति के प्रारब्ध में कष्ट लिखा होता है उसका जन्म विपरीत ग्रह नक्षत्र एवं कष्टित परिवार में होता है.
गरूड पुराण में वर्णन है और देखने में भी आया है कि जिनके प्रारब्ध उत्तम नहीं होते उन्हें बचपन से ही कष्ट सहना होता है. उनका जन्म परिवार के विपरीत परिस्थितियों में होता है और जिन्हें बड़ी उम्र में कष्ट सहना होता है, उनका कार्य व्यवसाय या बच्चों का भाग्य बाधित हो जाता है. इससे जाहिर होता है कि आपका प्रारब्ध कभी ही आप पर असर दिखा सकता है.
अतः अपने भाग्यवृद्धि तथा सुख समृद्धि के लिए अपने कर्म अच्छे रखने चाहिए. प्रारब्ध के कष्ट के कारण स्वास्थ्य कष्ट जिससे जीवन में आवश्यक कार्य बाधित होना, प्रारब्ध के कारण ही अध्ययन में बाधा, जिससे आजीविका के साधन में कमी या परेशानी, प्रारब्ध के कष्ट के कारण ही वैवाहिक जीवन की बाधाएं, जीवनसाथी का विपरीत होना अथवा विभिन्न प्रकार से सुखमय जीवन में बाधा, प्रारब्ध के कष्ट के कारण ही संतान से संबंधित कष्ट, इस प्रकार अलग अलग स्थिति में अलग अलग प्रकार से प्रारब्ध आपको कष्ट देता रहता है.
अतः प्रारब्ध को दूर करने के लिए विभिन्न उपाय करने के अलावा अगर आपके जीवन में घरेलू परेशानी या विभिन्न क्षेत्र विशेष से संबंधित कष्ट लगातार बना हुआ है और सारे उपाय करने के बाद भी कष्ट दूर न हो रहा हो और विश्वास भी भंग हो रहा हो तो एक बार अपनी कुंडली में विशेष स्थानिक ग्रहो पर क्रूर ग्रहो का प्रभाव एवं राहु से संबंधित पापकर्ती जरूर देख लें, राहु के कारण जीवन में कैसा भी कष्ट हो और किसी भी स्थान अथवा ग्रह के कारण हो तो भी सभी कष्टों की निवृत्ति के लिए एक अंतिम उपाय है शिवपूजा.
अतः उपाय के लिए रूद्राभिषेक, शिवपूजा एवं शिव मंत्र जाप करने से समस्त ग्रह शांत होते हैं और जिसके कारण ग्रह दोष दूर होने से जीवन में शांति एवं सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही उस ग्रह विशेष से संबंधित दान करना, रत्न धारण करना, मंत्र करना एवं ग्रहशांत कराना चाहिए, इसके लिए अपनी स्वयं के कष्ट एवं उनके संबंधित ग्रह के उपाय निजी तौर पर लेना जरूरी होता है. अतः अपने ग्रहो का उपाय एवं सामान्य तौर पर शिवपूजा करनी चाहिए.