संविधान पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले(Dattatreya Hosabale) के द्वारा दिए गए बयान के बाद देश में राजनीतिक पारा अपने उफान पर है। दत्तात्रेय ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ जैसे दो शब्दों को हटाने की मांग कुछ दिनों पहले की थी, जो इमरजेंसी के समय तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा जोड़े गए थे। उनके इस बयान का उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने भी समर्थन किया था। हालांकि, उनके इस बयान के बाद देश का विपक्ष खासकर कांग्रेस आगबबूला है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि, बीजेपी-आरएसएस को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। उन्होंने कहा था कि, ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं। इसी कड़ी में अब पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने ऐलान किया है कि अगर कांग्रेस फिर से केंद्र की सत्ता में आती है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS को देशभर में बैन किया जाएगा।
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‘RSS समाज में नफरत फैला रही’
उन्होंने कहा कि देश में नफरत कौन फैला रहा है, कौन सांप्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार है, कौन है जो संविधान बदलने की बात कर रहा है? प्रियांक खड़गे ने कहा कि RSS अपनी राजनीतिक शाखा बीजेपी से जरूरी सवाल क्यों नहीं पूछती कि देश में बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है, पहलगाम में आतंकी हमला कैसे हुआ? यह न पूछकर संघ के लोग समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत RSS को देश में बैन किया जाएगा।
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प्रियांक ने एक्स पर किया पोस्ट
दरअसल, प्रियांक खड़गे ने बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या को जवाब देते हुए एक्स पर एक पोस्ट किया था, जिसमें सूर्या ने कांग्रेस के हाईकमान को लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे पर सवाल उठाए थे। प्रियांक ने पूछा, ‘बीजेपी का हाईकमान कौन है? आपके ज़्यादातर कार्यकर्ता आपकी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष का नाम तक नहीं बता सकते, उनके लिए मोदी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शायद पंचायत सचिव तीनों ही हैं।’
प्रियांक खड़गे ने कहा, ‘जब हालात कठिन हो जाते हैं, तो प्रधानमंत्री संसद नहीं जाते, बल्कि आरएसएस को रिपोर्ट करने के लिए नागपुर चले जाते हैं।’ उन्होंने तेजस्वी सूर्या को चुनौती देते हुए कहा, ‘मैं तुम्हें चुनौती देता हूं कि तुम इसे ऊंची आवाज में कहो- मुझे आरएसएस की ज़रूरत नहीं है, मैं चुनाव जीत सकता हूं क्योंकि मोदीजी और नड्डाजी ही मेरे एकमात्र हाईकमान हैं, अभी और हमेशा।’
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सभी जांच एजेंसियां क्या सिर्फ विपक्ष के लिए ?
कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक ने कहा कि ईडी, आईटी सभी जांच एजेंसियां क्या सिर्फ विपक्ष के लिए हैं, सरकार आरएसएस की जांच क्यों नहीं करती, आखिर उनके पास पैसा कहां से आ रहा है, उनकी इनकम का सोर्स क्या है. प्रियांक खड़गे ने कहा कि हर बार संघ के लोग हेटस्पीच और संविधान बदलने की बात कहकर बचकर कैसे निकल जाते हैं, आर्थिक अपराध करके कैसे बच जाते हैं, इन सभी विषयों की जांच होनी चाहिए.
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पहले भी कही थी बैन लगाने की बात
यह पहली बार नहीं है जब प्रियांक खड़गे ने ऐसा बयान दिया है। दो साल पहले भी कर्नाटक के संदर्भ में उन्होंने कहा था कि अगर कोई संगठन राज्य में शांति भंग करने या सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश करेगा तो सरकार उसपर बैन लगाने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करेगी। कांग्रेस ने तो कर्नाटक में अपने घोषणा पत्र में कहा था, राज्य में सरकार में आते ही वह बजरंग दल, पीएफआई समेत जाति और धर्म के आधार पर समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाले सभी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए बैन लगाएगी।
प्रियांक खड़गे ने इसी घोषणापत्र पर कहा था कि हम सिर्फ कानून के मुताबिक और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहे हैं जो कानून तोड़ेंगे. जब प्रियांक से पूछा गया कि क्या सरकार RSS और बजरंग दल को भी बैन करेगी? तो इस पर उन्होंने कहा, ‘शांति भंग करने की कोशिश करने वाले किसी भी संगठन या व्यक्ति पर कार्रवाई होगी। चाहे वह मैं ही क्यों न रहूं?’
कब हुई थी आरएसएस की स्थापना ?
केशव बलराम हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन RSS की स्थापना की थी। लेकिन अब तक अलग-अलग वजहों से तीन बार इस संगठन पर बैन लग चुका है। साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर 18 महीने तक प्रतिबंध लगाया गया था क्योंकि बापू की हत्या को RSS से जोड़कर देखा गया। इसके बाद साल 1975 में इमरजेंसी का विरोध करने पर इंदिरा गांधी की सरकार ने RSS को बैन कर दिया, जो दो साल तक जारी रहा। तीसरी बार RSS पर पाबंदी 1992 में लगाई गई, क्योंकि अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाने में संघ की भूमिका थी। लेकिन 6 महीने बाद इस बैन को हटा दिया गया था।
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