आजकल के परिवेश में मोबाइल फोन एक बेहद ही जरूरी चीज बन गई है. लेकिनी तमाम खूबियों के साथ मोबाइल फोन अपने अंदर कई सारी खामियां भी छुपाया हुआ है. अगर आप भी पैरेंट्स है और अपने बच्चे को बहलाने के लिए अपना मोबाइल थमा देते हैं तो, आप अपने बच्चे को मानसिक रूप से काफी कमजोर कर रहे हैं. मोबाइल फोन के ज्यादा प्रयोग से आपके बच्चे कई रोगों से ग्रसित भी हो सकते है. तो अगर आप भी अपना काम निपटाने के लिए बच्चों को मोबाइल थमा देते हैं, तो अभी सुधार लें ये आदत और बच्चों को मोबाइल से दूर रखें.

प्रभावित होती है आंखें

बच्चों की आंखे बेहद ही संवेदनशील और कोमल होती है इसलिए पैरेंट्स को इसके प्रति काफी सतर्क रहना चाहिए. मोबाइल फोन, टैबलेट्स, और कंप्यूटरों की स्क्रीनों से आने वाली ब्लू लाइट यानी हाई-एनर्जी लाइट (HEV) बच्चों की आंखों को प्रभावित कर सकती है. यह आंखों की लेंस के पीछे के कैविटी में जाकर ब्लू लाइट की तरह कार्य करती है, जिससे डिजिटल आई सिंड्रोम और आंखों की कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं. Read more – अंबानी परिवार की गणेश चतुर्थी पूजा में पहुंची Rekha, डॉर्क मरून कलर की साड़ी में लगी कयामत …

डिप्रेशन का शिकार भी हो सकते है बच्चे

जब बच्चे अधिक समय अपने मोबाइल फोन पर बिताते हैं, तो उन्हें अपने दोस्तों और परिवार से दूरी महसूस होती है, जिससे सामाजिक इसोलेशन का खतरा होता है और ये अकेलापन उनके सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है और डिप्रेशन की संभावना बढ़ाता है.

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य होता है प्रभावित

6 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चों पर लगातार फोन चलाने के प्रभावों के बारे में ‘अंडरस्टैंडिंग योर चाइल्ड ब्रेन’ नामक किताब में छपी एक रिपोर्ट बताती है कि ऐसे बच्चे शारीरिक तौर पर काफी कमजोर हो जाते हैं और ज्यादा फोन प्रयोग करने के कारण इन बच्चों की याददाश्त भी कमजोर हो जाती है. इसके साथ ही जैसे-जैसे ये बच्चे बड़े होते हैं वैसे इनका स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगता है और शारीरिक रूप से ये मोटापे की चपेट में भी आने लगते हैं. Read More – Ganesh Chaturthi Recipe : बप्पा को लगाएं चॉकलेट मोदक का भोग, बप्पा हो जाएंगे खुश …

हो सकते है ‘अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर ‘ के शिकार

ज्यादा फोन चलाने के कारण बच्चे ‘अटेंशन डेफिसिट डिसॉर्डर’ के शिकार हो सकते हैं. इस बीमारी में बच्चे किसी एक चीज़ पर फोकस नहीं कर पाते और जिसके कारण उनके दिमाग पर काफी प्रभाव पड़ता है.

डब्ल्यूएचओ ने भी जारी की गाइडलाइन

बच्चों के ज्यादा फोन देखने की समस्या को मद्देनजर रखते हुए WHO ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें उन्होंने बताया कि यदि बच्चा 2 से 4 वर्ष का है तो पूरे दिन में उसका सिर्फ 1 घंटा स्क्रीन टाइम होना चाहिए. वहीं अगर बच्चा 4 वर्ष या उससे ज्यादा है तो अधिकतम 2 घंटे ही उसका स्क्रीन टाइम होना चाहिए. वहीं, अगर बच्चें इससे ज्यादा समय तक फोन चलाते है तो उन्हें शारीरिक और मानसिक समस्या भी हो सकती है.