छोटे बच्चे से जुड़ी हर छोटी से छोटी बात अहम होती है. उसके पैरों की सुरक्षा की बात आती है तो पैरेंट्स किसी किस्म का समझौता नहीं करना चाहते. वो नहीं चाहते कि किसी भी वजह से उनके बच्चे को कोई खरोंच भी आए. बच्चों के पैर फैट की वजह से बहुत कोमल और लचीले होते हैं. इसके अलावा जब बच्चे 8 से 18 महीने के बीच में चलना शुरु करते हैं तब उनके पैर फ्लैट होते हैं. लेकिन यह धीरे-धीरे मांसपेशियां मजबूत होती हैं और यह मजबूत और सही होते जाते हैं. इसके लिए जरूरी है उनके लिए सही जूते का चयन.

अगर आप बच्चे को सही जूता नहीं पहनाएं तो उसके पंजे का आकार भी बिगड़ सकता है और उसे पैरों में दर्द की समस्या भी हो सकती है. हम अपने बच्चों को ट्रेंडी फैशनेबल जूते पहनाना चाहते हैं लेकिन जूते को खरीदते समय इसकी दूसरी डिटेल्स पर भी ध्यान देना जरुरी है. अगर आप छोटे बच्चे के जूते खरीद रहे हैं तो आपको इन बातों का रखना होगा ध्यान. Read More – भूलकर भी पर्स में न रखें ये चीजें, वरना हमेशा बनी रहेगी आर्थिक तंगी …

शुरुआत में नरम जूते

जब आपका बच्चा चलना शुरु करे उसे नर्म जूते पहनाएं, यह उनके सेंसेज के लिए भी अच्छा है ताकि उन्हें इस बात का अहसास हे कि वो कहां पैर रख रहे हैं. जब बच्चा कॉन्फिडेंस के साथ अपने पैरों पर चलने लगे तब उनको अलग-अलग जूते पहनाएं. जूते का चुनाव करते समय उसकी फिटिंग का ध्यान रखें. जूते बहुत वजनी नहीं होने चाहिए. इससे बच्चों को चलने में दिक्कत हो सकती है.

शूज के मटेरियल का भी रखें ध्यान

ऐसा नहीं है कि आपको बच्चे के जूते के लिए बड़े ब्रांड पर ही निर्भर रहें. कई बार ब्रांडेड जूते भी आरामदेह नहीं होते. हमें पता होता है कि बच्चे हमारे मुकाबले ज्यादा एक्टिव होते हैं और उन्हें पसीना भी ज्यादा आता है. ऐसे में शूज के मटेरियल पर भी ध्यान देना जरुरी है. यह फ्लैकसिबल और एंटीबैक्टरियल होना चाहिए. इसके अलावा जब बच्चा जूता पहन रहा है तो आपको इस बात का ध्यान रखना है कि पैरों का हाइजीन मेंटेन रहे. बच्चों के पैरों में पसीना बड़ों से ज्यादा आता है. ज्यादा पसीना आने के कारण बच्चों के पैरों में बैक्टिरिया के पैदा होने और फंगस की दिक्कत हो सकती है.

ऐसे में पैरों से बदबू आने लगती है. बच्चे के जूते के मटेरियल की बात करें तो आप ध्यान रखें कि कैनवास या लैदर का होना चाहिए. इन जूतों में एयरसुर्केलेशन होने की वजह से पसीने भी कम आते हैं. अगर आपका बच्चा बहुत स्पोर्टी है तो इस बात पर ध्यान दें कि जूते के ऊपर हिस्सा ऐसा हो जिससे बच्चे का पैर सुरक्षित रहे. प्लास्टिक और सिंथेटिक मैटेरियल के जूतों को अवॉइड करें तो बेहतर रहेगा. Read More – Priyanka Chahar Choudhary ने देसी लुक के बाद लगाया ट्रेडिशनल का तड़का, वीडियो देख फैंस के छूटे पसीने …

इनसॉल्स का चुनाव भी है अहम

बच्चों के लिए जूते खरीदते समय बाहरी मटेरियल को तो देखना ही होता है. इसके अलावा इनसॉल्स का भी ध्यान रखना जरुरी है. जूते के सॉल का अंदरूनी हिस्से को इनसॉल्स कहा जाता है. खरीदते समय इस बात पर ध्यान दें कि जूते के इनसॉल्स आरामदायक है या नहीं. अगर इनसॉलस आरामदायक होते हैं तो बच्चा लंबा समय तक आराम से जूते पहन पाता है. वरना लंबे समय तक जूते पहनने से बच्चों में इरिटेशन आती है और उनके पैर दुखने लगते हैं.

छोटी लेकिन काम की बात

जूते लंबाई और चौड़ाई में आरामदायक और फिट होने चाहिए. अंगुलियों के लिए सही स्पेस होना चाहिए. अपने लिए भी और बच्चों के लिए भी इस बात का ध्यान रखें कि लुक सैकंडरी है आपकी पहली प्राथमिकता बच्चे का कंर्फ्ट है. बहुत बार देखा गया है जूते नाप के तो सही होते हैं लेकिन उनमें अंगुलियां कई बार दब जाती हैं और इससे उनके नाखूनों में दर्द होता है. जूता ऐसा होना चाहिए जो पैर की अंगुली के पास झुक सके। इसके अलावा एड़ी के सामने का जूता चौड़ा होना चाहिए. जूते के अंदर पैर की बहुत अधिक मूवमेंट या फिसलन को रोकने के लिए लेस का होना जरुरी है.