शब्बीर अहमद, भोपाल। राजधानी भोपाल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन के साथ यहां लोगों के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ा हो रहा है. यहां सुप्रीम कोर्ट के रोक के बावजूद यूनियन कार्बाइड के कचरे के ढेर पर सिंघाड़े की खेती हो रही है. दरअसल, भोपाल गैस कांड की कंपनी का नाम यूनियन कार्बाइड है. यूनियन कार्बाईड से 1984 में जहरीली गैस रिसाव से करीब 20 हजार लोगों की मौत हुई थी.
इसे भी पढ़ेः राजधानी में पशु क्रूरता का मामला आया सामने, वाहन चालक ने आवारा कुत्ते को बेरहमी से कुचला
भोपाल के जेपी नगर में यूनियन कार्बाइड कारखाना है. इसी कारखाने से 2 व 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात को मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस रिसी थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे और लाखों प्रभावित हुए थे. आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी इसका असर मौजूद है. जब यह कारखाना चालू था, तब उससे निकलने वाले जहरीले अपशिष्ट को नष्ट करने के लिए 400 मीटर दूर तालाब बनाए थे. मौजूदा समय में उन तालाबों में पानी भरा हुआ है और लोग उनमें सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं.
इसे भी पढ़ेः बाल संप्रेषण गृह के नाबालिग बंदी की मौत, अस्पताल में इलाज के दौरान तोड़ा दम
बता दें कि राजधानी में 4 एकड़ के जहरीले तालाब में सिंघाड़े की खेती की जा रही है. जबकि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इन तालाबों में खेती करने के लिए रोक लगाई थी. शासन प्रशासन की अनदेखी के कारण लोगों की जान से खिलवाड़ा हो रहा है. इसी सिघाड़े को राजधानी के आसपास जिलों में बेचा जा रहा है.
इसे भी पढ़ेः शाजापुर में किसान आत्महत्या मामले में कांग्रेस ने बोला हमला, कहा- BJP सरकार आते ही आत्महत्या की संख्या बढ़ी
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने की लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक