रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति के मामले पर हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट को लेकर उनके बेटे और मरवाही विधायक अमित जोगी ने मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह से 8 सवाल पूछे हैं। अमित जोगी ने रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर कई सवाल उठाये हैं। उन्होंने रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित झूठा और गैर-कानूनी बताया है। अमित जोगी ने कहा कि रमन सिंह सच्चे हैं तो वह मेरे 8 सवालों का जवाब दें। छत्तीसगढ की जनता सच जानना चाहती है और जान कर रहेगी। उन्होंने कहा कि जाति के मामले में मुख्यमंत्री और दिल्ली व नागपुर में बैठे उनके आकाओं ने गलत तार छू लिया है। अमित जोगी ने कहा कि न्यायालय का ऐसा झटका लगेगा कि साजिशकर्ता अगली बार किसी के विरुद्ध साजिश करना भूल जाएंगे।

अमित जोगी ने रमन सिंह से ये सवाल पूछे हैं

1- रमन सिंह ने अजीत जोगी की जाति पर रिपोर्ट आने के 3 महीने के पहले 6 सदस्य वाली छानबीन समिति में एक ही अधिकारी को तीन महत्वपूर्ण पद- अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव- सौंप दिया। क्या प्रदेश में अधिकारियों का अचानक अकाल पड़ गया था?

2- नियमानुसार समिति के अध्यक्ष प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी रहते हैं. रमन सिंह ने यह जवाबदारी एक कनिष्ठ संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को विशेष सचिव का दर्जा देकर सौंप दिया। क्या प्रदेश के 2 दर्जन से अधिक प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों में से रमन को सचिव का अध्यक्ष बनाने के काबिल एक भी नहीं मिला। आखिर उस एक अधिकारी में ऐसा क्या देखा रमन ने कि उस पर एक साथ इतनी सारी मेहरबानियां कर दीं।

3- छानबीन समिति ने समिति की प्रक्रिया के नियम 21 का उल्लंघन करते हुए जांच दल की रिपोर्ट से ठीक उलटी रिपोर्ट किस आधार पर बनाई-

(क) जांच दल ने यह पाया क्योंकि जोगीसार के ग्राम वासियों ने यह माना कि अजीत जोगी आदिवासी है। जांच दल ने इस संबंध में अजीत जोगी द्वारा प्रस्तुत जोगीसार की ग्राम सभा द्वारा विधिवत पारित ग्राम सभा प्रस्ताव के अपनी रिपोर्ट के खंड 21 में पोस्ट की। किस आधार पर छानबीन समिति ने जोगीसार के लोगों की बात को झुठला दिया।

(ख) जांच दल ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि जांच के दौरान यह पाया गया कि जोगी परिवार हर साल आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार जोगीसार में अपने इष्ट देवता “जोगी बाबा” के मंदिर में पूजा-अर्चना करके नवाखाई का त्यौहार मनाता है। छानबीन समिति ने इस महत्वपूर्ण तत्व को क्यों अपनी रिपोर्ट में शामिल नहीं किया।

4- समिति ने पूरे प्रकरण के सबसे महत्वपूर्ण 125 साल पुराने दस्तावेज- जिसमें स्पष्ट रुप से यह दर्ज है कि अजीत जोगी के पूर्वज कवंर जाति के हैं- को केवल इस आधार पर मानने से मना कर दिया कि उसकी फॉरेंसिक जांच नहीं हुई है।  जब सारे दस्तावेज अजीत जोगी ने खुद समिति के समक्ष उपस्थित होकर प्रस्तुत किए तब समिति ने उनकी फॉरेंसिक जांच के आदेश क्यों नहीं दिए?

5- छानबीन समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची कि जोगी की जाति के पक्ष में ग्राम सभा प्रस्ताव नियम अनुसार पारित नहीं किया था।  अगर ऐसा था अभी तो नियम 22(3) के अनुसार समिति को बकाया मुनादी कराके ग्राम सभा आहुत करानी थी। ताकि सच्चाई पता लगाई जा सके। आखिर समिति ने जोगिसार की ग्राम सभा बुलाकर ऐसा क्यों नहीं किया?

6- अगर छानबीन समिति की इस बात को मान लिया जाए कि धर्म परिवर्तन उपरांत व्यक्ति आदिवासी नहीं रह जाता तब पूर्वी उत्तर भारत और छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिसा और मध्य प्रदेश समेत कई प्रांत के करोड़ों-लाखों आदिवासी यकायक गैर आदिवासी बन जाएंगे। क्या समिति का यह निष्कर्ष संविधान के अनुच्छेद 25 के द्वारा भारत के हर नागरिक को दिए गए अपनी इच्छा से धर्म मानने और पालन करने के मौलिक अधिकार पर सीधा-सीधा हमला नहीं है?

7- सर्वोच्च न्यायालय ने 2011 में छानबीन समिति को अजीत जोगी की जाति तय करने के लिए 2 महीने का समय दिया था 6 साल 72 महीने बाद समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। पर जोगी की जाति क्या है। ये आज तक नहीं बताया। अगर जोगी आदिवासी नहीं है तो जोगी किस जाति के हैं?

8- रिपोर्ट आने की ठीक 115 दिन पहले अजीत जोगी ने रमन सिंह को पत्र लिखकर यह जानकारी दी कि फर्जी तरीके से जाति बनाने की नियत से समिति के अधिकारियों को बदला गया है।  उन्हें सरकार के महाधिवक्ता जो कि नागपुर के निवासी हैं। रायपुर सर्किट हाउस में मीटिंग लेकर इस मामले में निर्देशित भी कर रहे हैं। पत्र के जवाब में रमन सिंह ने पत्र लिखा कि अधिकारी अक्सर महाधिवक्ता से कानूनी सलाह लेने के लिए मिलते हैं और यह स्पष्ट किया कि किसी के साथ भी अन्याय नहीं होने देंगे। अब क्या राजनीतिक दुश्मनी निकालने रमन सिंह अन्याय नहीं कर रहे हैं?