प्रतीक चौहान. रायपुर. नगर निगम एक्ट की धाराओं के तहत अलग-अलग मामले में जुर्माने की रकम तय कर दी गई है. इसकी जानकारी आम नागरिकों को नहीं है. इस पर अब नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी जोन स्तर पर नियमों के साथ ही इसका उल्लंघन करने पर क्या दंड मिलेगा, इसका भी प्रचार करेंगे. निगम में पिछले एक महीने से लागू ई-चालान सिस्टम और उससे हुई वसूली पर महापौर मीनल चौबे ने स्पष्ट कर दिया कि निगम के राजस्व में वृद्धि जरूरी है, लेकिन इसके लिए आम नागरिक अधिक परेशान न हों. पहले नियमों की जानकारी नागरिकों को देते हुए पहली बार चेतावनी दें, इसके बाद समझाइश, फिर जुर्माना लगाने की कार्रवाई करें. नियमों की जानकारी पहले जनता को दें, उसके बाद ही अर्थदंड की कार्रवाई करें. इसके लिए निगम का राजस्व अमला और नगर निवेश विभाग अब तैयारी शुरू करेगा.


नगर निवेश अधिकारी के मुताबिक सम्पूर्ण निगम सीमा क्षेत्र में विज्ञापन की नीति है कि बिना लिखित अनुमति के नगर निगम सीमा क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक, निजी संपत्ति, दीवार, वाहन, ढांचे आदि पर कोई भी प्रचार सामग्री नहीं लगा सकता. केवल पंजीकृत विज्ञापन एजेंसियों को ही इसकी अनुमति नियमानुसार दी जाती है. निजी संपत्ति पर लाइसेंस की अवधि एक वर्ष होती है. सार्वजनिक संपत्ति पर टेण्डर के नियमों के अनुसार लाइसेंस अवधि होती है. अस्थायी विज्ञापन हेतु एक माह की अवधि होती है. जिसमें मासिक नवीनीकरण संभव है. वहीं निजी संपत्ति पर एक वर्ष की लाइसेंस अवधि नवीनीकरण योग्य होती है.
निगम के नगर निवेश विभाग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि अनाधिकृत प्रचार पर 50 हजार रुपये से 1 लाख तक का जुर्माना करने तथा 10 हजार रुपये तक हटाने का शुल्क लिया जाएगा. अब सवाल ये उठता है कि क्या ये जुर्माना राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से भी वसूले जाएंगे ? क्योंकि राजधानी रायपुर में सबसे ज्यादा अवैध होर्डिंग विभिन्न पार्टियों के नेताओं की नजर आती है.
वहीं अवैध विज्ञापन पर मूल शुल्क का दो गुना तक दण्ड वसूलने 15 दिनों में सुधार ना करने पर बिना नोटिस के अवैध विज्ञापन हटाये जाने का प्रावधान है. इसी प्रकार गाड़ियों में विज्ञापन करने पर वाहन जब्ती, एफआईआर एवं काली सूची में डालने की कार्रवाई इसमें संभव है. विज्ञापन शुल्क समय पर जमा ना करने की स्थिति में संबंधित राशि को संपत्ति कर में जोड़ दिया जायेगा, आवश्यकता पड़ने पर संपत्ति सील भी की जा सकती है.