बेड पर लेटे और नींद लगने ही वाली है, आपको लगता है कि आपका पैर फिसल रहा है, आप गिर रहे हैं और एक झटके से आपकी नींद खुल जाती है. जब नींद टूटती है तो समझ में आता है कि आप अपने बेड पर हैं. आपके दिल की धड़कन 220 पार है. ये आखिर हुआ क्या? अगर आपके साथ भी हुआ है तो आप अकेले नहीं. लगभग हर व्यक्ति ऐसे हालात से गुजर चुका है और गुजरता रहता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने बेड पर एक सुरक्षित माहौल में सोने के बावजूद आपको ऐसी गिरने वाली फीलिंग क्यों आती है? नींद में ऐसी गिरने वाली फीलिंग को कहते हैं हिप्निक जर्क.

इसलिए लगता है झटका

इस हिप्निक जर्क का संबंध भी इसी से है. गिरने का एहसास हमें तब होता है जब नींद लग ही रही होती है. इस दौरान जब हमारी आंखें बंद हो जाती हैं और धड़कनें धीमी पड़ जाती हैं तो कई बार दिमाग कंफ्यूज हो जाता है. हमारे दिमाग को लगता है कि कहीं हम मर तो नहीं रहे और तुरंत ही दिमाग हरकत में आ जाता है. हमें जगाने के लिए दिमाग बेहद स्मार्ट तरीका अपनाता है और सपने में ऐसी इमेज बनाता है, जिसमें आप किसी ऊंची जगह, किसी सीढ़ी या फिर किसी खतरनाक सी जगह से गिर रहे होते हैं. ऐसे में दिमाग अचानक पैरों को सिग्नल भेजता है. सिग्नल मिलते ही झटके से हमारी नींद खुल जाती है.

इस तरह दिमाग का काम पूरा हो जाता है. जागने के बाद हमारे दिमाग को संतुष्टि हो जाती है कि हम जिंदा हैं. इसके बाद, सबकुछ ठीक पा कर वह भी सामान्य अवस्था में चला जा जाता है और हम एक दो करवट लेकर फिर गहरी नींद में चले जाते हैं.

हाइपनिक जर्क के हो सकते हैं कई कारण

  • तनाव, चिंता, थकान या फिर नींद की कमी.
  • कैल्शियम, मैग्नीशियम या आयरन की कमी.
  • सोते समय मसल्स में ऐंठन होना, ज्यादा कैफीन लेना.

फल खाना और मेडिटेशन करने से होता है फायदा

कभी-कभी ये नींद में झटके लगें तो ठीक है. ऐसा सबके साथ होता है. लेकिन अगर रोज हो रहा है या नींद खुल जाए तो बहुत देर तक घबराहट होती है तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए. हो सकता है शरीर में कहीं कैल्शियम या मैग्नीशियम की कमी हो गई हो. कैल्शियम हमें दूध, दही और केले से मिलता है. वहीं मैग्नीशियम के लिए अंकुरित अनाज और हरी सब्जी खाना चाहिए.

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