दुर्ग- जीपी सिंह, पुलिस महानिरीक्षक, दुर्ग रेंज, दुर्ग द्वारा दिनांक 6/03/2018 को अपराधिक गतिविधियों एवं प्रकरणों के संबंध में पुलिस अधीक्षक दुर्ग सहित जिले के अन्य राजपत्रित पुलिस अधिकारियों की आईजी कार्यालय में क्राईम मीटिंग ली गई जिसमें क्राईम के आंकडों की समीक्षा कर निम्नानुसार निर्देश दिये गयेः-
क्राईम के आंकड़ेः बैठक में समीक्षा के दौरान प्राप्त आंकड़ों अनुसार जिला दुर्ग की दिनांक 31.12.2017 की स्थिति में गुम इंसान के कुल 1669 प्रकरण, मर्ग के 1794 प्रकरण, 173(8) जा.फौ. के 62 प्रकरण, लंबित चालान 65, 41(1/4) के 103 प्रकरण, लंबित अपराध 596 प्रकरण एवं पेंडिंग माल 3584 प्रकरण लंबित है। समंस/वारंट की समीक्षा में पाया गया कि स्थाई वारंट 3819, गिरफ्तारी वारंट 374, जमानती वारंट 235 एवं समंस 257 लंबित है, जिसमें वारंटों की तामीली क्रमशः 7, 40, 68 एवं 79 प्रतिशत पाया गया है। इसी तरह जिले में दिनांक 28.02.18 की स्थिति में जनता वि. जनता के कुल 269, पुलिस वि. पुलिस के 4 एवं जनता वि. पुलिस के 80 प्रकरण में में जांच की कार्यवाही लंबित पाये गये।
गुम इंसानों की दस्तयाबी की कार्यवाही: गुम इंसान प्रकरणों में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा याचिका क्रमांक WPC/75/2012 दिनांक 10.05.2013 के तहत् बचपन बचाओ आंदोलन वि. शासन एवं अन्य के प्रकरण में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करें।
समंस/वारंटों की तामीलीः– जमानती, गिरफ्तारी, स्थाई, समंस/वारंट के लंबित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण हेतु एक निश्चित समयावधि के भीतर तामिली कराना सुनिश्चित करने एवं माननीय न्यायालयों के निर्देशों के पालन में व समंस वारंटों की तामीली में किसी भी तरह की लापरवाही पाये जाने पर संबंधित पुलिसकर्मियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया।
173(8) जा.फौ. की कार्यवाहियों में तेजीः– 173(8) जा.फौ. के लंबित प्रकरणों के निराकरण हेतु पुलिस अधिकारियों एवं पर्यवेक्षण अधिकारियों को एक विशेष अभियान चलाकर गिरफ्तारी करने के संबंध में विधि संगत कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये।
चिट-फण्ड/धोखाधडी के खिलाफ कार्यवाही:– 420 भादवि के प्रकरणों में विशेषकर चिट-फण्ड जैसे प्रकरणों पर विशेष सक्रियता की आवश्यकता है। उक्त संबंध में छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम – 2005 एवं नियम – 2015 के अनुसार चिट-फण्ड/धोखाधडी करने वालों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने के संबंध में निर्देशित किया गया है।
शरीर संबंधी अपराध पर कार्यवाही:– शरीर संबंधी अपराध के अंतर्गत थाना प्रभारी मामले की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए अपराधी के विरूद्ध तत्काल एवं कठोर कार्यवाही करे, ताकि असमाजिक/गुण्डा तत्व भयभीत रहें तथा इस प्रकार के अपराध पर नियंत्रण हो सके।
संपत्ति संबंधी अपराधों पर कार्यवाहीः– जिले में अपराधिक गिरोह द्वारा संपत्ति संबंधी अपराध किए जाते हैं, उनका अपराधिक मानचित्र गत 10 वर्षों का तैयार करें। उस मानचित्र में अपराध की प्रकृति, घटित होने का समय व दिनांक अंकित कर विभिन्न अपराधिक घटनाओं के ट्रेंड एवं पैटर्न का आंकलन करें। इस आंकलन के आधार पर गश्त, नाकाबंदी व अपराधियों की तलाश, रेड इत्यादि की योजना बनाई जावे एवं समय-समय पर स्वयं समीक्षा कर आवश्यकतानुसार अपने स्तर पर समयबद्ध अभियान चलाकर अपराधियों के विरूद्ध विधिसंगत कार्यवाही सुनिश्चित किया जावे। संपत्ति संबंधी अपराधों में माल मुजलिमों का पता करने का कारगर प्रयास सुनिश्चित करें जिससे कि बरामदगी के प्रतिशत में वृद्धि हो।
विवेचना के स्तर में सुधारः– केस डायरी में विवेचना के दौरान मूल दस्तावेजों, सीडीआर डिटेल्स व अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों आदि के संकलन में विवेचकों द्वारा लापरवाही बरतने पर अभियुक्तो को इसका लाभ मिलने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिये थाना प्रभारियों द्वारा समय-समय पर विवचकों के कार्यों की समीक्षा करने एवं नगर पुलिस अधीक्षक/एसडीओपी द्वारा इसका नियमित रूप से पर्यवेक्षण किया जाने हेतु निर्देशित किया गया।
अपराधी/असमाजिक तत्व पर कार्यवाही – नये निगरानी में रखने योग्य गुण्डा बदमाश/असमाजिक तत्वों को चिन्हांकित करने व निगरानी शुदा बदमाशों/असमाजिक तत्वों पर विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए गए। बैठक में, पुलिस की विजीबिलीटी को बढाने और अपराधियों पर नकेल कसने के तरीके बताए।
बैठक के दौरान जीपी सिंह ने कहा कि पुलिस का मुख्य कार्य अपराधों पर नियंत्रण कर पीडित को तत्काल सहायता पहुंचाना है। प्रकरण के लंबित होने से पीडित को अनेको बार थाना एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय में चक्कर लगाना पडता है, प्रकरण के निराकरण नही होने के कारण समाज में पुलिस की नकारात्मक छवि बनती है। जिस हेतु प्रकरणों पर सक्रियता से काम करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। सिंह ने आम-जनता द्वारा थाना/एसडीओपी स्तर पर प्राप्त होने वाली शिकायतों पर पीड़ित पक्ष से सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार कर उचित कार्यवाही करने हेतु पर्यवेक्षण अधिकारियों को निर्देशित किया गया एवं राजपत्रित अधिकारियो को थाना स्तर पर लंबित प्रकरणों की समीक्षा कर प्रकरण निराकृत करने के निर्देश दिए गए हैं।