10 अक्टूबर को देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं (ICS) के लिए प्रवेश परीक्षा होने जा रही है. इस अवसर पर आईजी बिलासपुर रेंज IPS रतन लाल डांगी ने परीक्षा में शामिल हो रहे युवाओं के लिए संदेश दिया है.

मेरे युवा साथियों,
आप सबको अग्रिम शुभकामनाएं, आप सिविल सर्विस की पहली सीढ़ी पार करने के लिए कई महीनों से अथक परिश्रम कर रहे हैं, उसकी परीक्षा की घड़ी आ गई हैं। यह आपके ज्ञान ,धैर्य व आत्मविश्वास की भी परीक्षा है।बस कुछ बातें ध्यान में रखिएगा,आप सफल होंगे ही।

“प्रारंभिक परीक्षा में लेशमात्र कोताही या किंचित मात्र कमज़ोरी भी आपके सपने को चकनाचूर कर सकती है।”

उठो, जागो और जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये तब तक रुको मत।

सिविल सेवा परीक्षा को दुनिया में सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक माना जाता है।परीक्षा को पास करने के लिए, एक उम्मीदवार को उच्च प्रेरणा स्तर बनाए रखना होता है।

कोई भी व्यक्ति केवल खड़े रह कर और पानी को घूरकर नदी पार नहीं कर सकता। इसी तरह, कोई भी सिविल सेवा परीक्षा के सपने देख कर और सफलता की कहानियों को पढ़ने मात्र से ही इसे उत्तीर्ण नहीं कर सकता। व्यक्ति को कदम उठाना होगा और आगे बढ़ना होगा। आपको आलस्य को दूर करना होगाl

किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने के लिये गंभीर एवं विस्तृत अध्ययन के साथ ही महत्वपूर्ण है, परीक्षा के दौरान निर्धारित घंटों में आप क्या करते हैं,और कैसे करते हैं? अतः परीक्षा घंटों में बेहतर समय प्रबंधन, मानसिक एकाग्रता तथा उच्च दिमागी सक्रियता ,साथ ही प्रश्नों की प्रकृति को समझते हुए उन्हें समयानुसार ज़ल्दी हल करने का तरीका भी महत्त्वपूर्ण है।

वर्षों की जी-तोड़ मेहनत और अध्ययन के बावजूद बेहतर समय-प्रबंधन के अभाव में सारी मेहनत धाराशायी हो जाती है और वे परीक्षा में अपना सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करने से चूक जाते हैं। कितनी भी अच्छी तैयारी क्यों न कर लें,सफल तभी होंगे जब परीक्षा घंटों में औरों से बेहतर व विशिष्ट प्रदर्शन करेंगे।

परीक्षा के घंटों में आप अपनी एकाग्रता और आत्मविश्वास तभी कायम रख पाएंगे जब आप पहले से ही परीक्षा की रणनीति और परीक्षा के दौरान अपनाई जाने वाली सावधानियों से परिचित होंगे-

निस्संदेह परीक्षा कक्ष में परीक्षा घंटों के लिये हर परीक्षार्थी की अपनी रणनीति होती है, लेकिन अनुभव की कमी (नए परीक्षार्थी) एवं बार-बार गलती दोहराने की प्रवृत्ति (पुराने परीक्षार्थी) के चलते अधिकांश परीक्षार्थी अच्छी तैयारी के बावजूद परीक्षा में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।

कुछ बातें हैं जिनको अमल में लाने से आपके रणकौशल में इज़ाफा होने की पूरी संभावना है। आपको ज्ञात होना चाहिए कि परीक्षा में कितने प्रश्न पत्र हैं। कौनसा प्रश्नपत्र ज्यादा महत्त्वपूर्ण है? विगत वर्ष के कटऑफ क्या थे। आपको कम-से-कम कितने प्रश्न हल करने हैं? परीक्षा घंटे में क्या और कैसे करना है, इस पर ज़्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है।

पहली और सबसे ज़रूरी बात है परीक्षा अवधि में समय-प्रबंधन की। चूँकि ‘परीक्षा’ निश्चित समय-सीमा में अपने ज्ञान-कौशल के प्रदर्शन का ही दूसरा नाम है, इसलिये समय-प्रबंधन परीक्षा का अनिवार्य पहलू है।

आपको परीक्षा कक्ष में जाने से पूर्व ही यह देख लेना चाहिए की, प्रति प्रश्नों को हल करने के लिए आपके पास कितने सेकेंड का समय है, एवं प्रश्न पत्र में पूछे जाने वाले प्रश्नों की जटिलता और गहराई कितनी है।

आपको प्रति प्रश्न प्रदत्त सेकेंड के अंदर ही विकल्पों के सही उत्तर को चुनकर, उसके लिये उत्तर-पत्रक में सही गोले को काला करना होता है। ऐसे में प्रश्न के गलत होने का खतरा तो होता ही है, साथ ही कठिन विकल्पों के कारण प्रश्नों को हल करने में ज़्यादा समय भी लगता है। इस कारण कई दफा छात्र पूरा पेपर तक नहीं पढ़ पाते हैं।

इस चुनौती से निपटने का एक तरीका यह है कि सर्वप्रथम वही प्रश्न हल किये जाएँ जो आपकी ज्ञान की सीमा के दायरे में हों। जिन प्रश्नों के उत्तर पता न हों या जिन पर उधेड़बुन हो, उन्हें निशान लगाकर छोड़ देना चाहिये और अगर अंत में समय बचे तो उनका उत्तर देने की कोशिश करनी चाहिये, वरना उन्हें छोड़ देने में ही भलाई है।

दूसरा तरीका यह है कि आपको सभी प्रश्नों को हल करने का लालच छोड़कर अपने अधिकार क्षेत्र वाले प्रश्न मज़बूत पकड़ हो, उनसे संबंधित प्रश्नों पर ही फोकस करें। और समय बचने पर अन्य प्रश्नों पर ध्यान दिया जा सकता है।इस मामले में आपको यह सावधानी ज़रूर बरतनी चाहिये कि वे कम-से-कम इतने प्रश्नों का चुनाव अवश्य कर लें जिनसे सम्मिलित रूप से कटऑफ के दायरे में आ जाएँ। शेष कुछ प्रश्न छूट भी जाए तो बहुत परेशानी वाली बात नहीं है।

आमतौर पर परीक्षा भवन में प्रवेश करने से पहले आप यह निश्चय ज़रूर कर ले कि आपको न्यूनतम या अधिकतम कितने प्रश्न हल करने हैं। इस सोच के पीछे प्रारंभिक परीक्षा के विगत वर्षों के कट-ऑफ आँकड़े तथा आगामी परीक्षा के संभावित कट-ऑफ का अनुमान शामिल होता है। अनुमान लगाने के लिए आपको विगत 5 वर्षों में प्रारंभिक परीक्षा की कट-ऑफ में काफी उतार-चढ़ाव देखने चाहिए और उस आधार पर एक राय बनानी चाहिए।

अगली कड़ी में

परीक्षा के दौरान किन बातों का ध्यान रखें?

उत्तर-पत्रक मिलने के पश्चात् उसमें दिये गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। नियत स्थान पर अपना अनुक्रमांक, हस्ताक्षर तथा अन्य सूचनाएँ अंकित करें।

प्रश्नपत्र मिलते ही प्रश्नों को हल करना शुरू न करें बल्कि उसके महत्त्वपूर्ण निर्देशों को पढ़ें। संभव है कि उन निर्देशों में कोई महत्त्वपूर्ण और नई सूचना मिले।संपूर्ण प्रश्नपत्र को एक बार सरसरी निगाह से देखने के पश्चात् पुनः समय व्यवस्थित करें जिससे प्रश्नपत्र पूरा करने में समय कम न पड़े।पहले आसान प्रश्नों को हल करें, इससे आत्मविश्वास बढ़ता है। जल्दी में प्रश्नों को न पढ़ें बल्कि शांति और धैर्य के साथ प्रश्न को दो-तीन बार पढ़ें और सुनिश्चित करें कि वास्तव में क्या पूछा जा रहा है। जिन प्रश्नों को आप पहली बार में हल नहीं कर पाते हैं उन्हें टिक-मार्क करके छोड़ दें। फिर बचे हुए समय में उन्हें हल करने का प्रयास करें।अपने उत्तर की समीक्षा करने और त्रुटियों को ठीक करने के लिये बाद में कुछ समय बचाकर रखें।

दिमाग में जो जवाब पहले आता है उसे तब तक न बदलें जब तक कि आप को यकीन न हो जाए कि वह गलत है। माना जाता है कि पहले उत्तर में हमारे अवचेतन मन की प्रबल भूमिका होती है। अवचेतन मन में कई ऐसी जानकारियाँ होती हैं जिनके बारे में हमें पता नहीं होता। अवचेतन मन पर आधारित उत्तर आमतौर पर ठीक होते हैं, बेशक प्रचलन की भाषा में उन्हें तुक्का कहा जाए। कई छात्रों की आदत होती है कि वे पहले सारे प्रश्नों को हल कर लेते हैं उसके बाद एक ही बार में उत्तर-पत्रक (Answer-sheet ) भरते हैं। ऐसे छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे हर 5-10 प्रश्नों के बाद उत्तर-पत्रक (Answer-sheet ) भरते चलें वरना आपका क्रम गलत हो जाने की या यह प्रक्रिया छूट जाने की संभावना हो सकती है।

पहले और दूसरे पेपर के बीच के समय में ‘गैप इनर्शिया’ या फिर से ‘एग्ज़ाम फोबिया’ का शिकार न हों बल्कि अपने आत्मविश्वास को उस दौरान भी बनाए रखें।

एक सुनियोजित रणनीति के ज़रिये आप परीक्षा भवन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर अपनी सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं, बशर्ते आप अपने मस्तिष्क में अनावश्यक भ्रम, चिंता या तनाव को स्थान न दें।

साथियों परीक्षा में प्रश्न पत्र कठिन आया है तो यह सभी के लिये समान रूप से कठिन है। इसलिये किसी छात्र विशेष को इस मामले में अतिरिक्त तनाव लेने की बजाय परीक्षा भवन की अपनी रणनीति पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिये।

कोई भी परीक्षा सरल या कठिन आपकी तैयारी, रणनीति व मनोदशा के अनुरूप ही होती है। यदि आपकी तैयारी बेहतर और परीक्षा भवन की रणनीति सशक्त है तो तय मानिये कि आपकी मनोदशा कभी भी परीक्षा को लेकर तनावग्रस्त नहीं होगी। अतः डरना छोड़कर लड़ने को तैयार रहें।

परीक्षा से एक दिन पहले छात्र तनाव , यह सबके साथ होता है, अतः इसे लेकर बहुत ज़्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। हल्का-फुल्का तनाव सकारात्मक योगदान भी देता है। एक निश्चित स्तर का तनाव हमारे निष्पादन/प्रदर्शन को बढ़ाता है किंतु उससे ज़्यादा तनाव प्रदर्शन को कम भी कर देता है।

थोड़ा तनाव या डर आपको सतर्क बनाए रखता है तथा लक्ष्य को भूलने नहीं देता है। ‘परीक्षा’ इसी का नाम है। इसलिये इस संदर्भ में फिक्र करने की बजाय इसे सकारात्मक दिशा प्रदान कर जीत सुनिश्चित करनी चाहिये। याद रखें डर के आगे ही जीत है!

प्रतियोगी परीक्षा एक बड़ा मंच है। इसके लिये आप वर्षों अध्ययनरत रहते हैं। किंतु कई दफा बेहतर तैयारी के बावजूद परीक्षा भवन में जाने से पूर्व उन्हें लगता है कि जैसे वे सब कुछ भूल गए हों, उन्हें कुछ भी याद नहीं आ रहा हो तथा दिमाग सुन्न-सा हो रहा हो। ऐसी स्थिति में यदि आपका मित्र कोई प्रश्न पूछ लेता है और आप उसका सही जवाब नहीं दे पाते हैं तो आपका आत्मविश्वास न्यूनतम स्तर पर पहुँच जाता है। इस प्रकार की परिस्थिति छात्रों के लिये पीड़ादायक होती है। किंतु यहाँ सबसे मजेदार बात यह है कि इस अवधि में भूलना या याद न आना महज एक तात्कालिक स्थिति होती है।

तात्कालिक रूप से परीक्षार्थियों को भले यह लगे कि वे सब कुछ भूल गए हैं, किंतु वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं होता। परीक्षार्थियों द्वारा पढ़ी गई समस्त चीज़ें उनके अवचेतन मन में जमा रहती हैं। अत्यधिक तनाव की वजह से भले वह ‘एक्टिव मोड’ में न रहे लेकिन परीक्षा भवन में प्रश्न देखते ही आप पाएंगे कि वह जानकारी प्रश्नों से कनेक्ट होते ही कैसे सक्रिय हो जाती है। फिर उन्हें सब कुछ स्वतः याद आने लगता है। इसलिये, आपकों दिमाग से यह भ्रम निकाल देना चाहिये कि वे सब कुछ भूल गए हैं। याद रखें, ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता, न ही उसका लोप होता है। बस सही रणनीति के ज़रिये उसे सक्रिय रखना होता है।

स्मरण रखें कि प्रतियोगी परीक्षा सिर्फ छात्रों के ज्ञान और व्यक्तित्व का ही नहीं बल्कि उनके धैर्य, साहस और जुझारूपन का भी परीक्षण करती है। प्रतियोगी परीक्षा महज एक परीक्षा नहीं होती बल्कि छात्रत्व को गौरवान्वित करने तथा उनकी योग्यता-क्षमता-प्रतिभा को सम्मानित करने का एक मंच भी है। अतः इससे क्या घबराना।

प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने की शर्त सिर्फ पढ़ाकू होना नहीं बल्कि जुझारू होना भी है। याद रखिये रणभेरी बजने पर सच्चा सैनिक कभी पीठ नहीं दिखाता बल्कि अपनी संपूर्ण शक्ति समेटकर मैदान में डटकर खड़ा हो जाता है। और आपकी तो तैयारी मुकम्मल है, रणनीति वैज्ञानिक व व्यावहारिक है, फिर डर किस बात का? अतः अंतिम समय में छात्रोचित गुण का परिचय दीजिये और प्रतियोगी परीक्षा का किला फतह कीजिये। ध्यान रहे, जीतता वही है जो अपनी संपूर्ण शक्ति और सही रणनीति के साथ लड़ता है, वरना आधे-अधूरे मन से कभी भी पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती।

यदि आप IAS प्रीलिम्स परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होते है तो हिम्मत मत हारिये। जीवन में कोई भी विफलताओं का सामना किए बिना सफलता हासिल नहीं कर सकता। जब आप एक प्रयास में IAS प्रीलिम्स परीक्षा को उत्तीर्ण नहीं कर पाएं तो इसका ये मतलब बिलकुल भी नहीं है की आप कभी IAS प्रीलिम्स परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाएंगे बल्कि इसका मतलब ये है की आपको और तैयारी की जरुरत है इसलिए निराश न हो। विफलता एक सामान्य अस्थायी अवस्था है और इससे हार नहीं माननी चाहिए । अपने पिछले प्रयासों में अपनी गलतियों का विश्लेषण करें, उनसे सीखें और एक कार्य योजना तैयार करें और उसे निष्पादित करें। निश्चित रूप से सफलता आपकी होगी।

एक बार पुनः शुभकामनाएं।

रतन लाल डांगी ,IPS
आईजी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़