प्रतीक चौहान. ये RPF हैं जनाब… यहां चहेतो को पोस्टिंग से लेकर स्पेशल ड्यूटी, वर्दी न पहनने की छूट और भरपूर आराम और छुट्टी मिलती है… लेकिन बाकियों के लिए तमाम नियम और कायदे होते है… यही कारण है कि अब स्टॉफ ने लल्लूराम डॉट कॉम से नाम न छापने की अपील करते हुए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के आईजी मुन्नवर खुर्शीद से जांच कराने की मांग की है.
दरअसल रायपुर रेल मंडल के दुर्ग आरपीएफ पोस्ट (Durg RPF Post) में इन दिनों ये चहेतो और स्टॉफ के बीच भेदभाव का खेल चल रहा है. इस पोस्ट में चहेतो की बिना वर्दी वाली स्पेशल ड्यूटी, ऑफिस ड्यूटी लगाई जाती है, जिसका कोई टाईमिंग नहीं होता है. लेकिन जो चहेते नहीं होते उनकी 12-12 घंटे की ड्यूटी लगाई जा रही है.

स्टॉफ का कहना है कि अभी न तो 15 अगस्त और न 26 जनवरी और न कोई हाई अलर्ट लेकिन बावजूद इसके यहां स्टॉफ की 12 घंटे की शिफ्ट लगाई जा रही है. जबकि इसी डिवीजन के बाकी पोस्टों में स्टॉफ की 8 घंटे की ही शिफ्ट लगाई जा रही है.
परेशान स्टॉफ कहते है कि यहां ऑफिस में स्टॉफ बिना वर्दी के बैठते और गप्पे मारते है और रायपुर से कोई जांच करने वाले अधिकारी आते है उनकी ऐसी सेवा होती है कि वे कागजों में सारी रिपोर्ट गुमराह कर बनाते है.
नाम न छापने की शर्त पर दुर्ग आरपीएफ पोस्ट के स्टॉफ ने आईजी से अपील की है कि वे बिलासपुर जोन से कोई दूसरी टीम भेजे और इसकी जांच करवाएं कि यहां ऐसा भेदभाव क्यों हो रहा है ?
स्टॉफ कहते है कि टाईमिंग और बिना वर्दी वाले चहेतों की जानकारी उच्च अधिकारियों को सीसीटीवी के माध्यम से ही मिल जाएगी.
बतौर प्रमाण पोस्ट के कुछ सूत्रों ने ड्यूटी रोस्टर भेजा है, जिसमें बीट ड्यूटी करने वालों की 12 घंटे और बाकियों की ड्यूटी के आगे कोई भी समय नहीं लिखा गया है, संभवतः यही कारण है कि एक ही पोस्ट में ड्यूटी करने वाले स्टॉफ के बीच अब मनमुटाव बढ़ गया है.
दुर्ग आरपीएफ पोस्ट का ड्यूटी रोस्टर














