प्रतीक चौहान. रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के आईजी के निरीक्षण के बहाने पिकनिक में जाने के खुलासे के बाद आरपीएफ में हड़कंप है. लल्लूराम डॉट कॉम के इस खुलासे के बाद विभाग में खलबली मची हुई है.

 इस खुलासे के बाद आईजी ने अपने पिकनिक के प्रोग्राम में कई परिवर्तन किए. लल्लूराम को मिली जानकारी के मुताबिक अपने ताम-माझ में ले गए स्टॉफ को उन्होंने खबर के बाद पिकनिक स्पॉट से रवाना करवा दिया, जिससे स्टॉफ काफी खुश है.

आरपीएफ के तमाम स्टॉफ ट्रेन से बिलासपुर पहुंचे. इतना ही नहीं खबर के बाद पिकनिक के अगले डेस्टिनेशन में भी कई फेरबदल किए गए. वहीं दिल्ली से इस पूरे मामले में आईजी को फटकार मिलने की खबर है. हालांकि चूंकि मामला विभाग के सबसे उच्च अधिकारी का है, इसलिए विभाग में अंदरूनी रूप से इसकी खूब चर्चा है.

 तमाम आरपीएफ स्टॉफ का कहना है कि जब हर छोटी-छोटी बातों में उन्हें चार्जशीट दी जाती है, तो आरपीएफ के डीजी इस मामले में जोन के उच्च अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं करते ?

अपने अकाउंट से किया होटल का पेमेंट ?, रखा सबूत

लल्लूराम को जानकारी मिली है कि खबर छपने के बाद से आरपीएफ आईजी का मूड ऑफ हो गया और उन्होंने अगले पिकनिक डेस्टीनेशन में कई बादलाव किए. इतना ही नहीं लल्लूराम की खबर के बाद उनकी कोई शिकायत की जांच हो तो अपने बचाव में उन्होंने होटल का पेमेंट खुद ही ऑनलाइन किया और अपने साथ गए एक अधिकारी का भुगतान भी खुद ही करने कहा.

 लेकिन यहीं पुनः आईजी फंस गए. अब यदि ऐसा है कि उन्होंने खुद अपने अकाउंट से होटल का भुगतान किया और बतौर सबूत इसे अपने पास रखा है तो इससे ये स्पष्ट हो जाएगा कि वे होटल में रुके थे और सैलून से अंबिकापुर सहपरिवार पिकनिक मनाने पहुंचे थे. वहीं होटल के सीसीटीवी में भी इसके प्रमाण मौजूद है. जिसे जुटाने में लल्लूराम प्रयास कर रहा है. इतना ही नहीं यदि आईजी निरीक्षण में अंबिकापुर गए थे और होटल में नहीं रुके, तो सवाल ये है कि उन्होंने अंबिकापुर में एक रात कहां गुजारी ?

दो बार कैंसल हो चुका है निरीक्षण

लल्लूराम को जानकारी मिली है कि अंबिकापुर आरपीएफ पोस्ट का निरीक्षण इससे पहले भी दो बार कैंसल किया जा चुका है. इतना ही नहीं आईजी के निरीक्षण में किए गए खर्चे को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं. जानकारी मिली है कि निरीक्षण से पहले हर बार सुरक्षा सम्मेलन के नाम पर थाने में बैलून, रेड कार्पेट समेत अन्य खर्चे किए जाते हैं. अब सवाल ये है कि इन खर्चों की भरपाई कौन करता है ? क्या इंस्पेक्टर अपनी जेब से ये सारे खर्चे करता है या इसके लिए भी इंस्पेक्टर को जुगाड़ करना पड़ता है ? या जोन के अधिकारी इंस्पेक्टर को खर्चा जुगाड़ कर निरीक्षण से पहले भिजवाते हैं ? ये जांच का विषय है, लेकिन सवाल ये है कि मामला जब आईजी का हो, तो जांच कौन करें.

गाड़ी की लॉग बुक में मौजूद है पूरे सबूत

इतना ही नहीं डीजी आरपीएफ या रेलवे बोर्ड के लिए ये जांच का विषय है कि आईजी के लिए कौन सी गाड़ी बुक करवाई गई थी. वहीं इस गाड़ी के लॉग बुक में भी वो प्रमाण मौजूद हैं, जिसमें वे अंबिकापुर से मैनपाट और मैनपाट से अमृतधारा निरीक्षण के बहाने पिकनिक मनाने गए थे. जब डीजी इस मामले की जांच करवाएंगे तो तमाम चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं. इतना ही नहीं लल्लूराम डॉट कॉम की खबर के बाद उनके साथ मौजूद अंबिकापुर आरपीएफ पोस्ट के स्टॉफ को तत्काल वापस भेज दिया गया, जिसकी पूरे जोन में चर्चा है. वहीं अमृतधारा में भोजन के लिए अन्य पोस्ट के स्टॉफ की मदद ली गई. इसके बाद मनेंद्रगढ़ आरपीएफ पोस्ट का निरीक्षण किया गया और यहां भी सुरक्षा सम्मेलन लिया गया.

यहां भी बड़े साहब के लिए पूरा तामझाम था. वहीं पूरे क्षेत्र में बड़े साहब के लिए किए गए ताम-झाम की चर्चा दूर तक है. इतना ही कागजों में दिखाने के लिए किए गए निरीक्षण की तस्वीरें भी आधिकारिक रूप से सामने नहीं आई है.