![](https://lalluram.com/wp-content/uploads/2024/11/lalluram-add-Carve-ok.jpg)
रायपुर। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) नया रायपुर के कुलपति चयन का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने राज्यपाल और कुलाधिपति को पत्र लिखा है. विकास उपाध्याय ने अपने शिकायती पत्र में पूरी चयन प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ट्रिपल आईटी की स्थापना की गई थी, वह किसी भी दृष्टि से फलीभूत नहीं हो रही है. राजभवन को अंधेरे में रखकर इस संस्था में कुलपति बनने की होड़ लगी है. जिसे स्वीकार्य नहीं किया जाएगा. इस मामले में उन्होंने राज्यपाल और कुलाधिपति को संज्ञान लेने की बात कही है.
किससे हुई है IIIT की स्थापना ?
विकास उपाध्याय ने बताया इसकी स्थापना छग विधानसभा के एक्ट के माध्यम से किसी प्रदेश की विश्वविद्यालय के रूप में ट्रिपल आईटी नया रायपुर ऐक्ट 2013 के अनुसार किया गया था. एनटीपीसी के सीएसआर फण्ड के माध्यम से इसकी शुरूआत हुई, जहां विद्यार्थियों की अध्यापन करने की रूचि सबसे ज्यादा देखी गई है. लेकिन वर्तमान कुलपति डाॅ. सिन्हा की कार्य प्रणाली को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं. यहां तक की संस्था के विद्यार्थियों ने कुलपति का रात भर घेराव तक कर अपना विरोध दर्ज कर चुके हैं.
कुलपति चयन की प्रक्रिया
उन्होंने बताया कि राज्यपाल कुलाधिपति के हैसियत से चयन समिति के लिए एक नाम इसी तरह ट्रिपल आईटी कार्य परिषद द्वारा एक नाम और एनटीपीसी चूंकि उसी के सीएसआर फण्ड से इसकी स्थापना हुई है, तो इसके द्वारा एक नाम नामित की जाती है. जिसमें से कुलाधिपति चयन समिति का अध्यक्ष नियुक्त करता है. इन तीन सदस्यों की तरफ से कुलपति के लिए संभावित तीन या इससे अधिक नाम कुलाधिपति को सौंपा जाता है. जिसमें कुलाधिपति किसी एक नाम पर सहमति देकर कुलपति का चयन करते हैं. इस प्रकरण में प्रो. गौतम बरुआ इसके अध्यक्ष हैं. प्रो. यू बी देसाई और संजय मदान सदस्य के रूप में सम्मिलित हैं. लेकिन ट्रिपल आईटी के एक्ट में सेक्शन-20 के कण्डिका (5) में प्रावधान है कि चयन समिति का कोई भी व्यक्ति किसी भी रूप में ट्रिपल आईटी नया रायपुर से जुड़ा न हो. बावजूद वर्तमान कुलपति डाॅ. सिन्हा जो कि कार्य परिषद् के अध्यक्ष भी होते हैं, यह जानते हुए भी उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति का नाम चयन समिति के लिए भेजा जो ट्रिपल आईटी से जुड़ा है. इसी तरह ट्रिपल आईटी ने एनटीपीसी को एक्ट के नियमों की जानकारी दिए बगैर ऐसा नाम भेजने, नाम सुझाया गया, वह व्यक्ति भी इस संस्था से जुड़ा हुआ था. इस तरह ट्रिपल आई टी के लिए गठित चयन समिति के दोनों सदस्यों का नाम ही ऐक्ट के विरूद्ध है.
नियम विरूद्ध पद पर बने हैं डाॅ. प्रदीप कुमार सिन्हा
विकास उपाध्याय ने कहा कि ट्रिपल आईटी में कुलपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है. इसके बाद नए कुलपति की नियुक्ति एक्ट 2013 के अनुसार आवश्यक है. डाॅ. सिन्हा का 10 दिसंबर 2020 को कार्यकाल पूर्ण हो चुका है. इसके बाद आज 6 माह बीत जाने के बावजूद नियम विरूद्ध कुलपति के पद पर कार्य कर रहे हैं. इतना ही नहीं बल्कि वे पिछले 6 माह से लगातार क्रय, निर्माण, नियुक्ति के प्रकरण सहित तमाम नीतिगत निर्णय ले रहे हैं, जो कि नियम विरूद्ध है. इसके बाद भी राजभवन ने किसी तरह का कोई संज्ञान नहीं लिया है. इतना ही नहीं बल्कि डाॅ. सिन्हा नियम विरूद्ध 15 प्रतिशत अतिरिक्त वेतन का लाभ भी बगैर किसी सक्षम स्वीकृति के लगातार ले रहे हैं, जिस पर किसी का ध्यान नहीं है.
पद के लिए योग्यता नहीं, फिर भी हुई नियुक्ति
विकास उपाध्याय ने बताया कि डाॅ. सिन्हा कुलपति के लिए सबसे आवश्यक अर्हता शैक्षणिक अनुभव नहीं रखते. जबकि 10 साल का शैक्षणिक अनुभव आवश्यक है. डाॅ. सिन्हा कभी भी किसी महाविद्यालय, विश्वविद्यालय या आईआईटी में कार्य नहीं किए. न ही इनके पास विश्वविद्यालय या किसी शैक्षणिक स्थान में किसी भी तरह का कार्य करने का अनुभव है. जो नियम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूरे देश व प्रदेश में लागू होते हैं. इस संस्था में डाॅ. सिन्हा के लिए नजर अंदाज कर दिया गया.
read more- Corona Horror: US Administration rejects India’s plea to export vaccine’s raw material
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक