नई दिल्ली। दिवाली के बाद लगभग 12 घंटों के भीतर दिवाली की आतिशबाजी का प्रभाव कम हो जाता है. यानी दिल्ली में दिवाली के बाद होने वाले प्रदूषण का कारण पटाखों की आतिशबाजी नहीं है. यह बात आईआईटी दिल्ली के एक महत्वपूर्ण अध्ययन में निकल कर सामने आई है. आईआईटी दिल्ली की यह स्टडी बताती है कि आतिशबाजी के बजाय बायोमास जलने से होने वाला प्रदूषण दिवाली के बाद दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता में वृद्धि करता है. यह अध्ययन आंशिक रूप से आईआईटी दिल्ली और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया गया था. इस स्टडी को आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर और पीआरएल अहमदाबाद के बीच एक सहयोगी प्रयास के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था.
अध्ययन में शामिल रहे आईआईटी दिल्ली केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर विक्रम सिंह ने स्टडी रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया, सर्दियों में स्टबल बनिर्ंग और बढ़ी हुई हीटिंग आवश्यकताओं दोनों ही बायोमास बर्निंग गतिविधि को चलाते हैं. इस प्रकार अध्ययन का निष्कर्ष है कि आतिशबाजी के बजाय बायोमास जलने का उत्सर्जन दिवाली के बाद के दिनों में दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता को बढ़ाता है. दरअसल दिल्ली में दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता खतरनाक श्रेणी में जाना एक आम बात हो गई है। दिवाली और फसल कटाई के मौसम लगभग एक साथ आते हैं और इस दौरान पराली जलाई जाती है। दोनों गतिविधियों से परिवेशी वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित होने की आशंका है। हालांकि, ये संयोग की घटनाएं अक्सर वायु प्रदूषण पर दोनों में से किसका प्रभाव ज्यादा है इसका पता लगाना मुश्किल बना देती हैं.
आईआईटी दिल्ली के नेतृत्व वाली इस रिपोर्ट में ‘दिवाली आतिशबाजी के पहले, दौरान और बाद में दिल्ली में पीएम2.5 व प्रदूषण स्रोतों पर प्रकाश डाला गया है। यह स्टडी जर्नल ‘एटमॉस्फेरिक पॉल्यूशन रिसर्च’ में प्रकाशित हुई है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएम 2.5 के स्तर में धातु की मात्रा 1100 फीसदी बढ़ी, और दिवाली के दौरान अकेले आतिशबाजी में धातु पीएम 2.5 का 95 प्रतिशत हिस्सा था। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक चिराग मनचंदा ने खुलासा किया कि दिवाली के लगभग 12 घंटों के भीतर पटाखों का प्रभाव कम हो जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि दिवाली के बाद के दिनों में बायोमास जलने से संबंधित उत्सर्जन में तेजी से वृद्धि हुई है। इसके अलावा, कार्बनिक पीएम 2.5 से संबंधित स्रोत विभाजन परिणाम दिवाली के बाद के दिनों में प्राथमिक और द्वितीयक दोनों कार्बनिक प्रदूषकों में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देते हैं, जो बायोमास-बनिर्ंग संबंधित उत्सर्जन के कारण हैं।
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इस स्टडी के प्रमुख इन्वेस्टिगेटर प्रोफेसर मयंक कुमार ने कहा, इस अध्ययन का परिणाम दीवाली के बाद दिल्ली की राजधानी में अत्यधिक वायु प्रदूषण की घटनाओं को कम करने के लिए प्रतिबद्ध वायु गुणवत्ता विशेषज्ञों और नीति निमार्ताओं के बीच लंबे समय से चली आ रही बहस और चिंता के विषय में महत्वपूर्ण अंतर्²ष्टि प्रदान करता है।
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