हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर का आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) एक ऐसी खोज के कारण चर्चा में है, जो आने वाले समय में ऊर्जा उत्पादन की तस्वीर बदल सकती है। यहां के प्रोफेसरों और छात्रों ने ऐसा उपकरण बनाया है जो बिना सूरज की रोशनी, बिना बैटरी और बिना किसी दूसरी मशीन के सिर्फ पानी और हवा से बिजली पैदा करता है।
आईआईटी इंदौर की सस्टेनेबल एनर्जी एंड एन्वायरन्मेंटल मटेरियल्स लैब में तैयार इस उपकरण को खास तरह के मेम्ब्रेन से बनाया गया है। इसमें ग्रैफीन ऑक्साइड और ज़िंक-इमिडाज़ोल नामक पदार्थ का इस्तेमाल हुआ है। जब इस मेम्ब्रेन को पानी में आंशिक रूप से डुबो दिया जाता है तो पानी धीरे-धीरे ऊपर की ओर चढ़ने लगता है और वाष्पित होता है। इसी प्रक्रिया के दौरान मेम्ब्रेन के दोनों सिरों पर पॉजिटिव और नेगेटिव आयन अलग हो जाते हैं और वहां से स्थिर बिजली पैदा होने लगती है।
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खारे-गंदे पानी में भी करेगा काम
इतना ही नहीं, यह उपकरण साफ पानी के साथ-साथ खारे या गंदे पानी में भी लंबे समय तक काम करता रहता है। परीक्षण के दौरान पाया गया कि सिर्फ तीन गुणा दो सेंटीमीटर के एक छोटे से मेम्ब्रेन से 0.75 वोल्ट तक बिजली पैदा की जा सकती है। अगर ऐसे कई मेम्ब्रेन को जोड़ा जाए तो बिजली की मात्रा और बढ़ाई जा सकती है। यही वजह है कि इसे उन जगहों पर बेहद उपयोगी माना जा रहा है, जहां बिजली आसानी से उपलब्ध नहीं होती। जंगलों और खेतों में लगे सेंसर हों, ब्लैकआउट के समय रोशनी की जरूरत हो या फिर दूर-दराज़ के क्लीनिकों में छोटे मेडिकल उपकरणों को चलाना हो, यह तकनीक हर स्थिति में मददगार साबित हो सकती है।
खासियत
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह हल्का है, आसानी से ले जाया जा सकता है और घर के अंदर या बाहर, दिन और रात हर समय काम करता है। आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी का कहना है कि जल वाष्पीकरण जैसी सामान्य प्रक्रिया को ऊर्जा उत्पादन का साधन बनाना समाज के लिए बड़ा योगदान है। उनका मानना है कि यह तकनीक ग्रामीण और वंचित इलाकों में जीवन को आसान बना सकती है और स्वच्छ ऊर्जा का नया रास्ता दिखाती है।
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शांत तरीके से बिजली बनाएगा उपकरण
वहीं इस शोध का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर धीरेंद्र राय का कहना है कि यह एक ऐसा सेल्फ-चार्जिंग स्रोत है जो पानी और हवा से चलता है। जब तक वाष्पीकरण जारी रहेगा, यह उपकरण लगातार और शांत तरीके से बिजली बनाता रहेगा। उनकी टीम अब इसे और सस्ता और बड़े पैमाने पर बनाने की दिशा में काम कर रही है ताकि यह तकनीक जल्द ही गांव-गांव तक पहुंच सके। भविष्य में इस उपकरण का इस्तेमाल और भी रोचक तरीकों से किया जा सकता है।
शोधकर्ता मानते हैं कि आने वाले समय में यह तकनीक ऊर्जा बनाने वाले स्मार्ट कपड़ों या खुद से चलने वाली दीवारों जैसी नई संभावनाओं के रूप में भी सामने आ सकती है। यह खोज साफ दिखाती है कि भारतीय वैज्ञानिक अब ऐसी तकनीकें तैयार कर रहे हैं, जो सीधे तौर पर लोगों की जिंदगी में बदलाव ला सकती हैं।
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