नई दिल्ली- आयरन ओर पैलेट के अवैध निर्यात पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मनोहर लाल शर्मा ने पीएमओ कार्यालय समेत संबंधित मंत्रालयों के सचिवों तथा छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और आंध्रप्रदेश के मुख्य सचिव को लीगल नोटिस भेजा है. इस नोटिस में कहा गया है कि निजी कंपनियों द्वारा पैलेट का निर्यात विदेशी व्यापार(विकास और विनियमन) अधिनियम 1992 का उल्लंघन है.
इस लीगल नोटिस के जरिए वरिष्ठ वकील मनोहर लाल शर्मा ने कहा है कि बंगलुरू की केआईओसीएल के अलावा अन्य कंपनियों द्वारा पैलेट का निर्यात करना एक गंभीर अपराध है, इस पर पांच गुना तक जुर्माना तथा सात साल तक की सजा का प्रावधान है. विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी का जिक्र करते हुए नोटिस में यह लिखा गया है कि कानून मंत्रालय ने 10 सितंबर 2020 को एक पत्र जारी कर केआईओसीएल के अतिरिक्त अन्य कंपनियों द्वारा पैलेट के निर्यात को अवैध माना है. साथ ही उक्त कंपनियों के विरूद्ध विधि सम्मत कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए हैं.
मनोहर लाल शर्मा ने कहा है कि पूर्व में भेजी गई नोटिस में यह उल्लेखित किया गया था कि विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम 1992 में में पांच गुना जुर्माना का प्रावधान है, लिहाजा छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, पं.बंगाल और आंधप्रदेश जैसे राज्यों से की गई करीब 40 हजार करोड़ रूपए से अधिक निर्यात के ऐवज में इन कंपनियों से करीब 2 लाख करोड़ रूपए की वसूली किया जाना चाहिए. नोटिस में लिखा है कि विदेशी व्यापार अधिनियम के अलावा पैलेट का अवैध निर्यात कस्टम अधिनियम 1962 के प्रावधानों का भी उल्लंघन करता है. इसमें निर्यात करने वाली कंपनी के चेयरमेन, एमडी, डायरेक्टर, सीईओ समेत अन्य कर्मचारियों को सात साल तक की सजा का प्रावधान है.
नोटिस में कहा गया है कि विभिन्न बंदरगाहों में अवैध निर्यात के लिए रखे गए पैलेट को जप्त करने की कार्यवाही को लेकर कानून मंत्रालय ने 10 सितंबर 2020 को पत्र जारी कर निर्देश दिया था, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. सूत्रों के माध्यम से यह पता चला है कि अधिकारी कंपनियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. वकील मनोहर लाल शर्मा ने नोटिस में दस दिनों के भीतर विधि सम्मत कार्रवाई की मांग की है. साथ ही कहा है कि यदि कार्रवाई नहीं होगी, तो इस मामले में वह कोर्ट का रूख अख्तियार करेंगे.
कोल घोटाले में सबसे पहले याचिका लगाई थी मनोहर लाल शर्मा ने…
नोटिस भेजने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मनोहर लाल शर्मा कई चर्चित मामलों में शामिल रहे हैं. उन्होंने ही सबसे पहले कोल घोटाले में पीआईएल लगाया था. शर्मा दिल्ली गैंगरेप कांड में बतौर स्वतंत्र वकील बचाव पक्ष की पैरवी कर चुके हैं. राफेल डील मामले में मोदी सरकार के विरूद्ध उन्होंने याचिका लगाई थी. मनोहर शर्मा कश्मीर में धारा 370 हटाने को लेकर भी याचिका लगा चुके हैं, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
इधर छत्तीसगढ़ में पैलेट की दरों में कृत्रिम बढ़ोतरी से जूझ रहे उद्योग
सुप्रीम कोर्ट के वकील मनोहर लाल शर्मा ने जिन मसलों को लेकर लीगल नोटिस जारी किया है, राज्य के स्पंज आयरन उद्योग भी इन्हीं मुद्दों से जूझ रहे हैं. दरअसल केआईओसीएल के अलावा पैलेट का निर्यात कोई निजी कंपनी नहीं कर सकती, लेकिन छत्तीसगढ़ में चार-पांच बड़ी कंपनियां राज्य के उद्योगों को प्राथमिकता न देकर चीन जैसे दूसरे देशों इसकी सप्लाई कर रहे हैं. राज्य के उद्योगों को बढ़ी हुई दर पर पैलेट दी जा रही है. इससे उद्योगों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. उद्योग लगातार यह सवाल उठाते रहे हैं कि आखिर किस आधार पर कंपनियों को निर्यात की छूट दी गई है? क्या यह अवैध ढंग से निर्यात कर रहे हैं?
क्या कहते हैं उद्योगपति?
उद्योगपति मानते हैं कि पैलेट ओर की दर घरेलू बाजार में निर्य़ात दर से अधिक हो गई है. उद्योगपति मनोज अग्रवाल कहते हैं कि पैलेट ओर पहले एक्सपोर्ट ज्यादा हो रहा था. घरेलू बाजार में दर कम थी. घरेलू दर छह हजार रूपए थी, तो वहीं निर्यात में यह 7 हजार रूपए चल रहा था. निर्यात से ज्यादा महंगा घरेलू बाजार हो गया है. पैलेट की काॅस्टिंग भी बढ़ी है. जिस दर पर पैलेट हम खरीद रहे हैं, उससे बनाया जा रहा स्पंज आयरन बनाना महंगा पड़ रहा है. बाजार में अब डिमांड नहीं है. केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट बंद चल रहे हैं. हाउसिंग प्रोजेक्ट भी कमजोर हैं. इन सबकी वजह से भी स्टील सेक्टर में दिक्कतें बढ़ी है. हालांकि राज्य के कुछ उद्योग के पैलेट ओर के निर्यात से जुड़े सवाल पर उनका कहना है कि इसकी परमिशन है या नहीं? इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है.