रायपुर। गरियाबंद के जंगलों में वृक्षों की अवैध कटाई का मामला अब सियासी रंग लेने लगा है. मामले के सामने आने पर शासन और प्रशासन में हड़कंप मच गया. मामला सामने आने के बाद वन विभाग के तमाम आला अधिकारी क्षेत्र में कैम्प किये हुए हैं. वहीं इस मामले में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रदेश में अंतर्राज्यीय गिरोह के सक्रिय होने के साथ ही वन विभाग के अमले की मिलीभगत का आरोप लगाया है.
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अवैध कटाई रोकने में वन अमला पूरी तरह से नाकाम है. कौशिक ने कहा कि उदन्ती अभ्यारण्य हो या कांगेर वैली, जंगल की अवैध कटाई के पीछे अंतरराज्यीय गिरोह का हाथ है. वन अमला कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति कर रहा है. कौशिक ने कहा कि गरियाबंद इलाके में करीब 3 वर्ग किमी. से भी अधिक हिस्सों में अवैध कटाई की गई है. इससे स्पष्ट होता है कि इन इलाकों में गिरोह सक्रिय है.
उन्होंने कहा कि उदन्ती अभ्यारण्य में संरक्षित वन्य प्राणी के लिए बनाया गया है। यहां पर अवैध रूप से प्रवेश पर भी प्रतिबंध है, लेकिन तस्कर तीन से चार किमी की दूरी तक जंगलों से अवैध लकड़ियां काटकर लगातार ले जाते रहे हैं जो वन विभाग की मिलीभगत की वजह से ही संभव है. यह आश्चर्य का विषय है कि विगत कई माह से इस क्षेत्र में दाल की खेती हो रही है और वन अमले को इसकी सूचना तक नहीं है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बस्तर से लेकर सरगुजा तक तस्करों का अंतरराज्यीय गिरोह सक्रिय है और वन विभाग की मिलीभगत से तस्करों का मनोबल और मजबूत होता जा रहा है। यही कारण है कि प्रदेश में वनों की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है. वन मंत्रालय के आला अधिकारियों पर सवाल उठना लाजमी है कि आखिरकार अवैध कटाई की रोकथाम को लेकर किस तरह के कदम उठाये जा रहे हैं ? वन विभाग का अमला गश्त के नाम पर कोई कार्रवाई नही कर रहा है, इससे तस्करों के हौसले बुलंद है.
कौशिक ने कहा कि वन मंत्री का अपने अमले पर अंकुश नहीं है. वन अमला पूरी तरह से तस्करी को शह दे रहा है, केवल आला अधिकारी निरीक्षण के नाम पर केवल कागजी कार्रवाई कर रहे हैं. उन्होंने पूछा कि कहीं वन विभाग के आला अधिकारियों की सांठ-गांठ से यह तस्करी तो नहीं हो रही हैं? इस पूरे मसले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी बनायी जानी चाहिए और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने इस पूरे मामले को विधानसभा में जोर-शोर से उठाने का एलान भी किया है.