रायपुर। कोविड-19 के बढ़ते खतरे के बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) स्वास्थ्य सचिव रेणु पिल्ले से मुलाकात कर बेहतर उपचार व्यवस्था के लिए 19 मांगों को लेकर विस्तार से चर्चा की. आईएमए ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में व्यवस्था को बढ़ाने के लिए सामाजिक योगदान पर खासा जोर दिया. आईएमए पदाधिकारियों ने मुलाकात के बाद दावा किया इस चर्चा का अगले तीन-चार दिनों में असर नजर आने लगेगा.

स्वास्थ्य सचिव से की गई मांगों में सबसे पहली मांग निजी अस्पतालों में एंटीजेन टेस्ट को लेकर था. इसमें प्रदेश स्तर पर जिन अस्पतालों में डॉनिग और डॉफिंग की सुविधा है, वहां एक अलग एरिया में पैरामेडिकल वर्कर सहित उपलब्ध हो उन्हें प्राथमिकता के तौर पर तुरंत एंटीजन टेस्ट की व्यवस्था की जाए और इसकी दरें भी तय की जाएं. दूसरा एमरजेंसी सेवा और गर्भवती महिलाओं के लिए सुविधाओं को लेकर था, जिसमें इमरजेंसी और प्लान किए हुए ऑपरेशन सहित केवल Indoor रोगी विभाग में भर्ती होने वाले मरीजों और सभी गर्भवती महिलाओं में भर्ती होने से पहले स्क्रीनिंग के तौर पर टेस्ट की सुविधा तुरंत प्रभाव से प्रदेश स्तर के चिन्हित अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाना जरूरी है.

इसके अलावा सरकारी और निजी अस्पतालों में नॉन कोविड मरीजों के उपचार के प्रोटोकाल को लेकर मांग की गई, जिसमें नॉन कोविड-19 के लिए कोरोना स्क्रीनिंग के लिए प्रोटोकॉल तय करना जरूरी है. यह मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं. चौथा टैरिफ मॉनिटरिंग कमेटी को लेकर था, जिसमें सरकार द्वारा तय किए गए रेट की मॉनिटरिंग के लिए सरकारी स्तर पर कमेटी बनाया जाना जरूरी है. वर्तमान में इसकी गाइडलाइन भी स्पष्ट नहीं है. इलाज की गाइड लाइन में अलग-अलग दवाओं के बारे में भी चित्र होने की बात कही गई.

इसके अलावा प्राइवेट लैब में सीटी स्कैनिंग के चार्जेस को लेकर चर्ची की गई, जिसमें कोरोना संक्रमित मरीज की स्क्रीनिंग के लिए प्राथमिकता के तौर पर सीटी स्कैन किए जाने की शिकायतें हैं, लेकिन इसकी स्पष्ट गाइडलाइन और मॉनिटरिंग की व्यवस्था नहीं है प्रदेश स्तर में किए जाने वाले सीटी स्कैन की लाइव ऑनलाइन रिपोर्टिंग जिला स्तर पर करवाई जाए, जिससे संभावित कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान तुरंत प्रभाव से की जा सके और उन्होंने संक्रमण की टेस्टिंग के लिए सेंटर्स में लाया जा सके. इसके अलावा बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर कंपनी द्वारा ट्रांसपोर्ट और प्रति किलो के हिसाब से चार्जेस लिए जा रहे हैं यह चार्जेस अलग से नहीं बल्कि प्रति बेड का ही हिस्सा माने जाने की बात कही गई.

इसके अलावा दूरस्थ इलाकों को कोरोना संक्रमितों के रेफरल को लेकर प्रोटोकाल, प्रदेश के सभी जिलों और मेडिकल कॉलेज में राउंड द क्लाक काउंसलिंग और टेलीमेडिसीन सर्विसेस, नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज पासआउट और अंतिम वर्ष के छात्रों की सेवाओं,  नर्सिंग पासआउट की संविदा सेवाएं, ग्रामीण चिकित्सा सेवा में लगे डॉक्टर्स को प्राथमिकता के तौर पर कोविड-जिला और मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में बुलाकर सेवाएं लेने, छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल से जुड़े मुद्दों का निपटारा, मेडिकल कॉलेज के स्नातकोत्तर छात्र, संविदा असिस्टेंट प्रोफेसर और सीनियर रेजिडेंट की वेतन विसंगती को ठीक करने, एम्स रायपुर और अन्य प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्रों को छत्तीसगढ़ राज्य के छात्रों के कोटे से प्रवेश न देते हुए उन्हें केवल सेंट्रल कोटे की सीटें उपलब्ध कराने की बात कही गई. इसके अलावा अन्य मांगें भी स्वास्थ्य सचिव के समक्ष रखीं, जिस पर जल्द अमल होने की उम्मीद जताई गई है.