सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। निजी और कोविड अस्पताल के लिए मानक अलग-अलग होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा उसमें घालमेल किए जाने का आईएमए ने विरोध किया है. आईएमए ने स्वास्थ्य विभाग के आदेश की भ्रांतियों का हवाला देते हुए स्पष्ट करने को कहा कि निजी अस्पतालों में सामान्य रूप से मरीजों की भर्ती और शल्य क्रिया की जाय या नहीं, अगर अनुमति है तो कौन सी कोरोना जांच कराई जाए.

आईएमए के सदस्य डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि संचालक चिकित्सा सेवाएं की ओर से तमाम सीएचएमओ व स्वास्थ्य अधिकारियों को लिखे पत्र में कुछ भ्रांतियां और विरोधाभास हैं, जिसे शासन स्तर पर स्पष्ट किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बिंदु 1 और 3 में शासन की ओर से चिन्हित अस्पतालों में ही कोविड- संक्रमित मरीजों के इलाज की व्यवस्था करने को कहा गया है, वहीं बिंदु 2 और 3 यह भी कहता है कि सभी निजी चिकित्सालय में कोविड-19 साथ अन्य बीमारी का इलाज करना आवश्यक होगा.

उन्होंने कहा कि इस निर्देश से निष्कर्ष निकलता है कि जिन निजी अस्पतालों में अन्य बीमारियों के उपचार के साथ जांच के दौरान यदि मरीज कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उनका इलाज उसी गैर कोविड- अस्पताल में जारी निर्देशानुसार करना होगा. पत्र के जारी होने के बाद पर्याप्त संवाद और सहमति के बाद भी सरकारी अस्पतालों में मरीज को कई घंटों इंतजार करना पड़ता है, इसलिए केंद्र सरकार और इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की गाइड लाइन के अनुसार चिन्हित कोविड- और नॉन कोविड- अस्पतालों की तय सीमा रेखा का पालन किया जाए. मरीजों को आपस में संक्रमण से मिलने में रोका जा सके.

डॉ. गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव ने छत्तीसगढ़ के सभी निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों का कोरोना टेस्ट कराना जरूरी किया है, ऐसी स्थिति में रायपुर को छोड़कर अन्य शहरों में प्राइवेट टेस्टिंग लैब की सुविधा नहीं है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा अनुमति प्राप्त टेस्ट लैब के कलेक्शन केंद्र बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनंदगांव, कांकेर, धमतरी जैसे शहरों में खोलना जरूरी हो गया है, जिससे वहां से कलेक्ट किए सैंपल रायपुर लाया जा सके और मरीजों को प्राइवेट स्तर पर भी सुविधा प्रदान की जा सके. ऐसे में सरकारी अस्पतालों के टेस्ट केंद्र पर मरीजों की संख्या और भार को कम किया जा सकेगा.