रायपुर. आईएमए हॉस्पिटल बोर्ड ने आयुष्मान भारत योजना में काम करना बंद करने का निर्णय लिया है. आईएमए हॉस्पिटल बोर्ड के पदाधिकारी डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि बोर्ड ने सभी सदस्यों की सहमति से ये निर्णय लिया है. इस संबंध में सभी सदस्यों ने लेटर पैड में लिखकर कहा है कि वर्तमान आयुष्मान योजना में काम नहीं कर सकते. इसके बाद ही बोर्ड ने आधिकारिक रूप से काम नहीं करने की घोषणा कर दी है.
बता दें कि 21 सितबंर को ही आईएमए हॉस्पिटल बोर्ड ने आयुष्मान भारत योजना में शामिल होने में असमर्थता जताई थी. नोडल ऑफिसर को पत्र लिखकर इसके बारे में जानकारी दे दी गई थी. बोर्ड का कहना था कि अपने नोबल प्रोफेशन के माध्यम से हम सभी ने अपनी सामाजिक प्रतिबध्दता को भरसक कोशिश से पूरा किया है, लेकिन पिछले कुछ समय से तमाम कोशिशों के बाद भी हम लोग योजना के प्रारूप में सरलीकरण नहीं कर पाए हैं।
गिनाई थी ये खामियां…
गुरुवार सुबह 10 बजे से हम लोग मरीज की ऑपरेशन के पहले की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए हैं। इस योजना में और ज्यादा माथा फोड़ी, अब और नहीं हो सकती।सरलीकरण में समय लगेगा। गरीब परिवार को सेवा नहीं दे पाने का दु:ख तो है, लेकिन सरकार हमारी राह आसान नहीं करना चाहती है.
बोर्ड ने समस्या गिनाने हुए कहा था कि आयुष्मान भारत योजना की पैकेज व्यावहारिक नहीं है. एमएसबीवाय के तहत भी वहीं पैकेज है. दोनों मिलाकर योजना की पात्र मरीजों की संख्या प्रदेश के आबादी का 95 प्रतिशत से अधिक है. यदि लगभग सभी मरीजों का इस पैकेज रेत पर इलाज किए जाते तो अस्पताल चलाना संभव नहीं हो पाएगा और अस्पताल बंद करना पड़ेगा.
यदि हम योजना से अपने आप को अलग करते हैं तो यहीं 95 प्रतिशत मरीज हमारे अस्पताल में इलाज कराने के लिए उत्सुक नहीं रहेंगेे. वे किसी ऐसे अस्पताल जाना चाहेंगे जहां पर उनका योजना के अंतर्गत नि:शुल्क इलाज हो सके. परिणामस्वरुप हमें अस्पताल बंद करना पड़ेगा. इस तरह के आईएमए ने बहुत सारी समस्याएं गिनाई थी.