हकिमुददीन नासिर, महासमुंद. आप ने धान के कई किस्म देखे होंगे और उनकी विशेषताओं के बारे में जानते होगे पर आज हम एक ऐसे धान के किस्म से आपको रुबरु करा रहे हैं, जिसे संजीवनी धान कहते हैं. इस संजीवनी धान की खासियत है कि इसके सेवन करने से मानव के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. साथ ही कैंसर जैसी बीमारियों के रोकथाम में भी उपयोगी है. जहां कृषि वैज्ञानिक इसे किसानों के लिए काफी उपयोगी बताते हुए किसानों की आय दोगुनी करने में सहायक मान रहे हैं, वहीं इस संजीवनी धान को लगाने वाला किसान भी इस धान की विशेषता बताते नहीं थक रहे हैं.

इंदिरा गांधी विश्व विद्यालय रायपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने एक ऐसे धान की प्रजाति की खोज की है, जिसे खाने से मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के साथ कैंसर जैसी बीमारियों के रोकथाम में भी काफी सहायक साबित होगी. हम बात कर रहे संजीवनी धान की. महासमुंद मुख्यालय के समीप ग्राम कौंदकेरा के खेत में ये संजीवनी धान लहलहा रही है. कृषि वैज्ञानिक डाॅ. दीपक शर्मा ने बताया कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने एक नई किस्म के धान की खोज की है, जिसे संजीवनी धान के नाम से जानते हैं. इस किस्म के धान में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का गुण है. इस धान के चावल के सेवन से विभिन्न रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. ये एक सुगंधित किस्म का धान है, जिसके अंदर फाइटोकेमिकल्स, एंटीऑक्सीडेंट , एंटी कैंसर के गुण हैं. इससे किसान स्वस्थ तो होगा ही साथ ही किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.

एक एकड़ में 15 से 20 क्विंटल उत्पादन की उम्मीद

महासमुंद मुख्यालय के समीप ग्राम कौंदकेरा के खेत में ये संजीवनी धान लहलहा रही है. प्रयोगात्मक तौर पर इसे अंचल के प्रगतिशील किसान योगेश्वर चन्द्राकर ने मात्र एक एकड़ में लगाई है. वे प्राकृतिक तरीके से इसका उत्पादन ले रहे हैं. किसान योगेश्वर ने बताया कि जिले में इसका पहला प्रयोग है. आज इसकी लम्बाई 3 फीट के करीब है. वे गोबर, पत्तों से बनी खाद का उपयोग कर इसका उत्पादन ले रहे हैं. एक एकड़ में करीब 14 किलो बीज का उपयोग किए हैं और खर्चा लगभग 15 से 20 हजार रुपए आया है. इसमें 15 से 20 क्विंटल उत्पादन होने की उम्मीद जता रहे हैं. इसे केवल दस दिनों तक उपयोग करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि देखी गई है.

कई किस्त के धान की खेती कर चुका है किसान

गौरतलब है कि किसान योगेश्वर इसके पहले भी ब्लैक राइस , रेड राइस , ग्रीन राइस, काली मूली , नीला आलू आदि का उत्पादन कर चुके हैं. योगेश्वर का ये भी मानना है कि इस तरह के धान के किस्म की खेती करने से किसानों की आय में काफी बढोतरी होगी.

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