नई दिल्ली। देश में कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर महीने में दस्तक देगी. दूसरी लहर की तुलना में कम खतरनाक होने के बावजूद इस दौर में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सावधानी बरतना जरूरी है. यही नहीं कोरोना से महीने-दो महीने नहीं बल्कि सालभर तक खतरा बने रहने की आशंका जताई गई है.
एक समाचार एजेंसी ने हाल ही में स्वास्थ्य जगत से जुड़े 40 विशेषज्ञों के बीच सर्वे कराया. इसमें स्वास्थ्य विशेषज्ञ, चिकित्सक वैज्ञानिक, वायरोलॉजिस्ट, महामारी रोग विशेषज्ञ और प्रोफेसर शामिल थे. इनमें से 85 फीसदी विशेषज्ञों ने माना कि देश में कोरोना की अगली लहर अक्तूबर में दस्तक देगी. कुछ विशेषज्ञ इसके अगस्त के अंत से कुछ विशेषज्ञ इसके सितंबर माह के पहले पखवाड़े में आने की आशंका जताई है. वहीं कुछ विशेषज्ञ इसके इस साल नवंबर महीने से लेकर अगले साल फरवरी महीने तक दस्तक देने की आशंका जताई है.
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की तीसरी लहर पहले और दूसरे लहर की तुलना में कमजोर रहेगी. दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का मानना है कि यह लहर नियंत्रित रहेगी. सर्वे में शामिल आधे विशेषज्ञों का कहना है वायरस के मौजूदा वैरिएंट टीके के प्रभाव कम नहीं कर पाएंगे. वहीं कोरोना का असर आजकल में नहीं बल्कि अगले साल तक बरकरार रहने के आसार जताए गए हैं.
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तीसरी लहर में बड़ों की तुलना में बच्चों के संक्रमित होने का ज्यादा खतरा बताया जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि बच्चों को वायरस से खतरा है, लेकिन उन पर गंभीर प्रभाव नहीं दिखेगा. इसके साथ ही यह डर भी सता रहा है कि तीसरी लहर में बच्चे बड़ी संख्या में संक्रमित हुए तो यह सबसे बड़ी आपदा होगी क्योंकि बच्चों के लिए देश में पीडियाट्रिक इंसेंटिव केयर बहुत कम हैं. सरकार की कोशिशें भी कम पड़ सकती हैं.
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