अभिषेक सेमर, तखतपुर। तखतपुर जनपद के ग्राम पंचायत बांधा में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में हुए भ्रष्टाचार पर लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का बड़ा असर हुआ है। बीते दिनों लल्लूराम डॉट कॉम ने बांधा पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 7 फर्जी प्रकरणों को उजागर किया था, जिसमें मृतकों के नाम पर आवास स्वीकृत कर राशि का गबन और वास्तविक हितग्राहियों को बिना मकान दिए पैसा निकाल लेने जैसे मामले सामने आए थे। इस खबर के बाद मामले ने तूल पकड़ा और अब इस घोटाले को लेकर की गई जांच के बाद प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है।

जिला पंचायत सीईओ संदीप कुमार अग्रवाल ने तीन जिम्मेदार पंचायतकर्मियों आवास मित्र, रोजगार सहायक और सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश जनपद सीईओ को जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही सभी पंचायतों को कड़ी चेतावनी दी गई है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

भ्रष्टाचार के प्रमाण मिले, सात आवासों में मिली गड़बड़ी

बता दें कि ग्राम पंचायत बांधा में 7 आवास प्रकरणों की जांच में यह सामने आया कि कई हितग्राहियों को मकान का लाभ नहीं मिला, लेकिन कागजों में निर्माण पूर्ण दिखाकर राशि निकाल ली गई। कुछ मामलों में मृत लोगों के नाम से आवास स्वीकृति दिखाई गई और पूरी राशि निकालकर गबन कर ली गई। कई मामलों में एक हितग्राही के नाम का आवास किसी और को अलॉट कर दिया गया, जिससे भारी वित्तीय अनियमितता उजागर हुई।

जांच पहले जनपद पंचायत स्तर पर हुई और जब वहां गड़बड़ी की पुष्टि हुई, तब जिला पंचायत द्वारा गठित टीम ने पुनः जांच कर फर्जीवाड़े की पुष्टि की। इसके आधार पर कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए गए।

इन 7 मामलों में हुआ फर्जीवाड़ा

  1. संतोष पोर्ते पिता रामपाल पोर्ते – आदिवासी वर्ग के नाम स्वीकृत आवास को केहर सिंह श्रीवास नामक अन्य व्यक्ति को अलॉट कर दिया गया और राशि गबन कर ली गई।
  2. सरस्वती मरावी – इन्हें आवास स्वीकृति की जानकारी तक नहीं थी, पर किसी अन्य ने संपूर्ण राशि निकाल ली। मौके पर कोई निर्माण नहीं हुआ।
  3. लैनी बाई (मृतक) – 2016-17 में मृत्यु हो चुकी थी, फिर भी उनके नाम पर आवास स्वीकृत कर राशि गबन की गई।
  4. गंगोत्री बाई – नाम पर स्वीकृति के बावजूद मौके पर आवास नहीं बना। संपूर्ण राशि का गबन किया गया।
  5. राजेश पिता कन्हैया – हितग्राही ने बताया कि राशि किसी राजेश कुमार सोनवानी द्वारा निकाली गई, जबकि स्वीकृति उनके नाम से थी।
  6. सोना देवी अग्रवाल पिता प्रदीप अग्रवाल – निर्माण नहीं हुआ, पर जियो टैगिंग दिखाकर पूरी राशि निकाल ली गई।
  7. कन्हैया पिता बुलवा (मृतक) – 2019–20 में मृत होने के बावजूद उनके नाम पर आवास स्वीकृत कर राशि आहरण किया गया।

ग्रामीणों ने कलेक्टर से लगाई थी न्याय की गुहार

यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब ग्राम बांधा के दर्जनभर ग्रामीणों ने बिलासपुर कलेक्टर संजय अग्रवाल को शिकायत सौंपी। उन्होंने आरोप लगाया कि आवास मित्र द्वारा मृत व्यक्तियों के नाम पर किस्त जारी की गई, और कई पात्र हितग्राहियों को बिना मकान दिए कागजों में निर्माण दिखा दिया गया।

ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि “जब ऑनलाइन में आवास पूर्ण दिख रहा है तो क्या वह मकान जमीन खा गई या आसमान निगल गया?” — इससे पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा हो गया।

जनपद कर्मियों की भूमिका पर भी सवाल

बांधा ही नहीं, तखतपुर की अन्य पंचायतों में भी इसी तरह के मामले सामने आ चुके हैं। जहां एक व्यक्ति के नाम पर आए आवास किसी और को देकर सभी किश्तें निकाल ली गईं। आरोप यह भी है कि जनपद पंचायत के आवास शाखा से जुड़े कर्मियों की मिलीभगत के बिना इस तरह की गड़बड़ी संभव नहीं है। लेकिन हर बार केवल पंचायत कर्मियों को दोषी ठहराया जाता है, जनपद स्तर के कर्मचारियों की जवाबदेही नहीं तय की जाती।

सीईओ ने दी कड़ी चेतावनी

जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल ने बताया “बांधा में आवास योजना में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी, जिसे जांच में सही पाया गया। जनपद और जिला दोनों स्तर पर जांच के बाद एफआईआर के आदेश जारी किए गए हैं। यदि भविष्य में किसी भी कर्मचारी की संलिप्तता पाई गई तो सीधे अपराध दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।”

मुख्यमंत्री पहले ही दे चुके हैं चेतावनी

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय पहले ही साफ कर चुके हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी पाई गई तो जिले के कलेक्टर तक को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। मुंगेली के समाधान शिविर में एक बड़े अधिकारी पर कार्रवाई कर सीएम ने अपनी मंशा पहले ही स्पष्ट कर दी है।

प्रधानमंत्री आवास योजना में जारी इस तरह के घोटाले गरीबों के हक पर डाका हैं। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस कार्रवाई को कितना आगे बढ़ाता है और क्या केवल निचले स्तर के कर्मियों पर कार्रवाई होती है या ऊपर तक जिम्मेदारी तय की जाती है।

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