हकीमुद्दीन नासिर, महासमुंद. करोड़ों की बेशकीमती शासकीय भूमि पर फर्जीवाड़ा करके बनाए गए चार दुकानों पर जल्द प्रशासन का बुलडोजर चलेगा. साथ ही इस मामले में शामिल तीन शिक्षाकर्मी और पटवारी की संदिग्ध भूमिका की भी विभागीय जांच शुरू होगी. दोषी पाए जाने पर इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. कलेक्टर ने कहा है कि दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा. जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि भू माफिया और जमीन दलालों ने मिलकर महज 100 रुपये के स्टांप पेपर पर नोटरी से लिखा-पढ़ी कर बड़े झाड़ के जंगल को फर्जीवाड़ा करके खरीदा था. शासकीय भूमि पर अवैध रूप से दुकानों का निर्माण भी कराया जा रहा था. इसकी खबर लल्लूराम डॉट काॅम में प्रमुखता से उठाया गया था. इसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. मंगलवार की शाम 4 बजे कलेक्टर विनय कुमार लहंगे ने जिले के राजस्व विभाग के अधिकारियों की बैठक ली, जिसमें कलेक्टर ने राजस्व विभाग के कार्यों की समीक्षा के अलावा शासकीय भूमि पर अवैध रूप से कब्जा या फर्जी तरीके से खरीदी बिक्री पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए. कलेक्टर ने सख्त लहजे में कहा कि फर्जीवाड़े में संलिप्त किसी को भी नहीं बक्शा जाएगा.

दरअसल बीटीआई रोड गौरवपथ स्थित वन विद्यालय से लगे खसरा नंबर 102/5 1898 वर्ग फुट जमीन बड़े झाड़ का जंगल है.
उषा देवांगन से जमीन दलाल कृष्णा कुमार साहू ने ग्राम लभराकला में पदस्थ हल्का पटवारी अरविंद चंद्राकर से मिलीभगत कर अपनी पत्नी भूमिका चंद्राकर, साराडीह के प्राथमिक शाला में पदस्थ वर्ग -3 सहायक शिक्षक भाभी भारती चंद्राकर उनके पति खिरसाली प्राथमिक शाला में पदस्थ वर्ग -2 शिक्षक मोहित चंद्राकर और बागबाहरा ब्लाॅक के मोंगरापाली शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत वर्ग -1 एल बी शिक्षक विकास साहू इन पांचों ने मिलकर वन विद्यालय से लगे खसरा नंबर 102/4 जमीन काे 100 और 20 रुपए के ई स्टांप के जरिए 40 लाख रुपए में खरीद फरोख्त की, लेकिन जमीन दलाल समेत शासकीय कर्मचारियों ने खसरा नंबर 102/5 जो बड़े झाड़ जंगल है उस पर चार दुकानों का निर्माण कर रहे हैं.
40 लाख की जमीन को करोड़ों में व्यापारियों को बेचने की थी योजना
जमीन दलाल कृष्णा कुमार साहू और पटवारी अरविंद चंद्राकर ने सोची समझी साजिश के तहत इन दुकानों को बनाकर व्यापारियों को बेचने के फिराक में थे, क्योंकि बरोंड़ा चौक से लेकर कलेक्टर काॅलोनी तक गौरवपथ का चौड़ीकरण होना है. इसके कारण बहुत से दुकानें तोड़े जाएंगे इसलिए दोनों ने मिलकर 80-80 लाख रुपये में चारों दुकान को बेचने के लिए ग्राहक तलाश कर रहे थे इसलिए दलाल और पटवारी ने बरोंड़ा के कई व्यापारी से निरंतर संपर्क करते रहे. दलाल और पटवारी ने व्यापारियों को ई – स्टांप दिखाकर जमीन सही बताया करता था, ताकि व्यापारी इनके झांसा में आए और 40 लाख में लिए गए शासकीय भूमि से करोंड़ों मुनाफा कमा सकें. इसमें राजस्व अमला भी पूरी तरह सहयोग करता रहा.
सख्त कार्रवाई की जाएगी : कलेक्टर
कलेक्टर विनय कुमार लहंगे ने कहना है अवैध रूप से बनाए गए दुकानों को तोड़ा जाएगा. पटवारी और शिक्षाकर्मियों की संदिग्ध भूमिका की जांच कराई जाएगी. शासकीय जमीन का फर्जीवाड़ा किया गया है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. राजस्व विभाग की बैठक में अधिकारियों को निर्देश देंगे कि इस तरह कही पाया जाता है तो सख्त कार्रवाई करें.
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