चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने (Madras High Court) माना है कि एक हाउसवाइफ (गृहिणी) अपने पति की संपत्ति के आधे हिस्से की हकदार है. न्यायमूर्ति कृष्णन रामास्वामी की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि एक पत्नी हाउस वाइफ होने के नाते, कई काम करती है. जैसे मैनेजमेंट स्किल के साथ प्लानिंग करना, बजट बनाना. कुकिंग स्किल के साथ एक शेफ के रूप में – खाना बनाना, मेनू डिजाइन करना और रसोई को मैनेज करना. एक घरेलू डॉक्टर की तरह सेहत की देखभाल करना, सावधानी बरतना और परिवार के सदस्यों को घर पर बनी दवाएं देना. फाइनेंशियल स्किल के साथ होम इकोनॉमिस्ट की तरह घर के बजट की प्लानिंग, खर्च और बचत करना.

एक पत्नी इन स्किल्स के साथ घर में आरामदायक माहौल बनाती है और परिवार के लिए अपना योगदान देती है. निश्चित तौर पर यह योगदान बेमोल नहीं है, बल्कि यह बिना छुट्टियों के 24 घंटे करने वाली नौकरी है, जो एक कमाऊ पति की 8 घंटे की नौकरी के ही बराबर ही है और इससे कम नहीं हो सकती.
न्यायाधीश ने कहा कि घर की देखभाल करने वाली महिला परिवार के सदस्यों को बुनियादी चिकित्सा सहायता प्रदान करके घरेलू डॉक्टर का काम भी करती है. उन्होंने आगे कहा कि एक महिला अपने पति की अपनी कमाई से खरीदी गई संपत्तियों में बराबर हिस्सेदारी की हकदार होगी.

कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘पत्नियां जो दशकों से घर संभाल रही हैं और परिवार की देखभाल कर रही हैं उन्हें संपत्ति में हिस्सेदारी का हक है. शादी के बाद वह कई बार पति और बच्चों की देखभाल के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ देती हैं. यह अनुचित है जिसके परिणामस्वरूप आखिर में उनके पास अपना कहने के लिए कुछ भी नहीं होता.’

कोर्ट ने कहा कि पति परिवार की देखभाल के लिए अपनी पत्नी के सहयोग के बिना पैसा नहीं कमा पाता. अदालत ने कहा, ‘संपत्ति पति या पत्नी के नाम पर खरीदी गई हो सकती है, फिर भी इसे पति और पत्नी दोनों के संयुक्त प्रयासों से बचाए गए पैसे से खरीदी गई माना जाना चाहिए.’ अदालत ने कहा कि भले ही गृहिणी के किए गए योगदान को मान्यता देने के लिए अब तक कोई कानून नहीं बनाया गया है, लेकिन अदालतें योगदान को अच्छी तरह से पहचान सकती हैं, और यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि जब महिलाओं को उनके किए गए त्याग के लिए पुरस्कृत करने की बात आती है तो उन्हें उचित इंसाफ मिले.

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