बिलासपुर- छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने आज एक अहम मामले में सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि जांजगीर जेल में मारे गए कैदी के परिजनों को सरकार 15 लाख रुपए का मुआवजा दे.जस्टिस प्रीतंकर दिवाकर और संजय श्याम अग्राल की युगलपीठ ने इस मामले में फैसला दिया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का खुले तौर पर उल्लंघन है,जिसके तहत आम नागरिक को जीवन जीने का अधिकार दिया गया है.

इसके अलावा हाईकोर्ट ने डीजीपी और जेल विभाग के डीजी को निर्देश दिया है कि जेल में कैदियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के संबंध में किये गये प्रावधान का परिपालन सुनिश्चित करें और इस संबंध में हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें.आपको बता दें कि संतोष श्रीवास नामक कैदी को जांजगीर पुलिस के द्वारा 3 मई 2011 को जांजगीर जेल में निरूद्ध किया गया था और 5 मई 2011 को जेल में मारपीट के कारण संतोष श्रीवास की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद मृतक की पत्नी लगातार न्याय की लड़ाई लड़ रही थी.मृतक की पत्नी सरोज श्रीवास ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी,जिस पर आज हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.

मृतक संतोष श्रीवास की पत्नी सरोज श्रीवास के तरफ से अधिवक्ता सुमीत सिंह ने पैरवी की और हाईकोर्ट के समक्ष अपनी दलील रखी. लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में अधिवक्ता सुमीत सिंह ने हाईकोर्ट के फैसले पर संतुष्टि जाहिर की और बताया कि अब तक देश के किसी भी हाईकोर्ट ने इस तरह के मामले में इतनी बड़ी क्षतिपूर्ति राशि देने का फैसला नहीं सुनाया था और इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट देश का पहला हाईकोर्ट हो गया है,जिसने इतनी बड़ी क्षतिपूर्ति राशि देने का फैसला सुनाया है.