हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ की रेवेन्यू कोर्ट में पेंडिंग केसों को निपटाने के लिए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला लिया है।

कोर्ट में केसों के निपटारे में अनावश्यक देरी को कम करने के लिए HC ने व्हाट्सऐप और टेलीग्राम के इस्तेमाल का आदेश दिया है।

इस बारे में हाईकोर्ट ने हरियाणा व पंजाब के मुख्य सचिव व चंडीगढ़ प्रशासक को सूचित करने का निर्देश दिया है।

Important decision of Punjab-Haryana High Court… read the news to know

HC ने इस आदेश में अहम टिप्पणी करते हुए आदेश दिया है कि पक्षकारों और उनका प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों से व्हाट्सऐप सुविधा वाला फोन नंबर व ईमेल ID जमा करवाने पर जोर दें।

भविष्य में वकीलों को सभी नोटिस ई-मेल या इंस्टेंट मैसेजिंग सेवाओं पर जारी किए जाएं।

कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि मुनादी की प्रक्रिया में ढोल पीटकर नोटिस की तामील करवाई जाती है, जो अब अप्रचलित हो चुकी है। इसे त्यागने की आवश्यकता है।

हरियाणा के साथ ही पंजाब और चंडीगढ़ में अक्सर राजस्व अदालतों में मामले लटकते हैं। इसके साथ ही नोटिस या समन आदेश को स्वीकार न करने के चलते भी मामले सालों साल लंबित रहते हैं।

कोर्ट ने इस पर कहा कि नोटिस, समन और दलीलों का आदान-प्रदान ई-मेल, फैक्स और व्हाट्सऐप, टेलीग्राम और सिग्नल जैसी आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली त्वरित संदेश सेवाओं के माध्यम से किया जा सकता है।

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि राजस्व अदालतों के खिलाफ सुनवाई करते हुए अपीलेट कोर्ट मूल रिकॉर्ड मंगवा लेती हैं, जिससे राजस्व अदालतों में मामले लटकते हैं।

ऐसे में अपीलेट कोर्ट को रिकॉर्ड की स्कैन की गई कॉपी, फोटो कॉपी ही मंगवानी चाहिए। ऐसे में अपील लंबित रहते भी राजस्व अदालतें अपनी कार्रवाई को (यदि स्टे नहीं है तो) जारी रख सकती हैं।

2021 में विभाजन से जुड़ा एक मामला अदालत के समक्ष आया था। इस मामले में कोर्ट के आदेश का पालन न होने को लेकर अवमानना याचिका दाखिल की गई थी।

सुनवाई के दौरान सामने आया कि विभाजन से जुड़ा यह विवाद 19 साल पुराना था। कोर्ट ने छह महीने के भीतर इसका निपटारा करने का निर्देश जारी किया था।

जब इस मामले में सरकार से जवाब मांगा गया तो बताया गया कि राजस्व रिकॉर्ड की मूल प्रति अपीलेट कोर्ट के पास लंबित है।

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