कुमार इंदर, जबलपुर। एमपी पंचायत चुनाव (mp panchayat election)को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में आज अहम सुनवाई होगी। कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर ( Congress leader Jaya Thakur)की याचिका पर आज सुनवाई होगी। कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर ने पंचायत चुनाव जल्द कराने की मांग की है। दो साल बीतने के बाद भी पंचायत चुनाव नहीं हुए हैं। इसे लेकर ही याचिका दाखिल की थी। 

बता दें कि 19 जनवरी को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने MP पंचायत चुनाव में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण ( 27 percent OBC reservation in MP Panchayat elections) के मामले में OBC वर्ग को राहत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण ट्रिपल टेस्ट के आधार पर देने का फैसला सुनाया था। वहीं आरक्षण पर चुनाव कराना होगा तो सरकार को गवली वाले केस को अपनाने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार की दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की थी।

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पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर शिवराज सरकरा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जो अध्यादेश लागू किया गया था, उसे वापस ले लिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि 2010 में दिए कृष्णामूर्ति मामले में दिए आदेश के तहत ओबीसी आरक्षण तय किया जाए।

क्या है ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया

दरअसल महाराष्ट्र में निकाय चुनाव को लेकर भी इसी तरह का एक फंसा हुआ था जिसमें सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला सुनाते हुए ओबीसी आरक्षण को निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया था सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि निकाय चुनाव में ओबीसी को रिजर्वेशन भेजना है तो उन्हें ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया से गुजरना होगा …
1‌ ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के लिए सबसे पहले एक ओबीसी आयोग बनाने की बात कही गई है।

2 ओबीसी आयोग पिछड़े वर्ग के आर्थिक, सामाजिक स्थिति का आकलन करेगा ।

3 आयोग अपनी रिपोर्ट चुनाव आयोग को देखा। यदि आयोग को सही लगता हैं तो वो उसे राज्य सरकार को रिकमंड करेगा।

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क्या है आख़िर गवली केस
दरअसल महाराष्ट्र में निकाय चुनाव में भी ओबीसी को 27% आरक्षण दिया गया था जिसे कोर्ट में चैलेंज कर दिया था जिस पर सुनवाई करते हुऐ 4 मार्च 2021को सुप्रीम कोर्ट की ट्रिपल बैंच ने कहा था कि, अगर सरकार को लोकल बॉडी इलेक्शन में ओबीसी को आरक्षण देना है तो उसे ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया अपनानी होगी।

एमपी पंचायत चुनाव में कहां फंसा पेच 
पंचायत आरक्षण के रोटेशन प्रणाली को न अपनाए जाने के चलते लेकर पेंच फंस गया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना पंचायत चुनाव में आरक्षण के फैसले को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया सकता. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि कानून के दायरे में ही रहकर ही चुनाव करवाए जाएं। हालांकि, सरकार को ट्रिपल टेस्ट के तहत ओबीसी के लोगों की गिनती करनी होगी. ये करने में सरकार को चार महीने का समय लग सकता है।

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