वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश में राज्य सरकार को यह निर्देश दिया है कि सभी लैब टेक्नीशियनों को 2800 का ग्रेड पे प्रदान किया जाए। न्यायालय ने यह माना कि समान योग्यता, समान कार्य और समान दायित्व वाले कर्मचारियों को अलग-अलग वेतनमान देना प्राकृतिक न्याय और समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं का ग्रेड पे उनकी नियुक्ति की तिथि से 2800 निर्धारित किया जाए और दो माह के भीतर सभी बकाया राशि 6% वार्षिक ब्याज सहित अदा की जाए। इसके अतिरिक्त भविष्य में वेतन निर्धारण भी इसी अनुसार करने का आदेश दिया गया।


याचिकाकर्ताओं की ओर से यह कहा गया कि 2 मई 2014 को जारी भर्ती विज्ञापन में लैब टेक्नीशियन के 26 पदों के लिए वेतनमान 5200–20200 के साथ 2800 ग्रेड पे स्पष्ट रूप से दर्शाया गया था। इसके बावजूद चयन के बाद जारी नियुक्ति आदेशों में ग्रेड पे घटाकर 2400 कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने इस परिवर्तन को मनमाना, अवैध और संवैधानिक समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) का उल्लंघन बताया। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की एकलपीठ के समक्ष यह तथ्य प्रस्तुत किया गया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 30 मार्च 2013 और 7 मई 2013 को जारी आदेशों के माध्यम से कुछ पदों को 2800 और कुछ को 2400 ग्रेड पे के साथ स्वीकृत किया गया था। यही कारण था कि एक ही विज्ञापन और समान कार्य वाले कर्मचारियों के बीच वेतन असमानता उत्पन्न हुई।
यह याचिका अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी द्वारा दाखिल की गई थी और अधिवक्ता दानिश सिद्दीकी ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस की। उन्होंने तर्क दिया कि जब कार्य,योग्यता और उत्तरदायित्व एक समान हैं, तो वेतन में भेदभाव न केवल अनुचित है, बल्कि समान कार्य के लिए समान वेतन के संवैधानिक सिद्धांत के विपरीत भी है। राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता ने भी स्वीकार किया कि प्रदेश के अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों में लैब टेक्नीशियनों को पहले से ही 2800 का ग्रेड पे दिया जा रहा है,जैसा कि छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा विभाग अलीपिक वर्गीय तृतीय श्रेणी सेवा भर्ती नियम, 2015 (राजपत्र में 25 सितंबर 2015 को प्रकाशित) के अनुसूची-1, क्रमांक 28 में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि यह समझ से परे है कि एक ही पद के लिए दो अलग-अलग वेतन संरचनाएं कैसे बनाई जा सकती हैं। अदालत ने पाया कि चूंकि 2015 के नियमों में लैब टेक्नीशियन के लिए ग्रेड पे 2800 निर्धारित है, इसलिए 2400 ग्रेड पे देना नियमविरुद्ध और अनुचित है।
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