शिवम मिश्रा, रायपुर। नक्सलवाद के खिलाफ अब निर्णायक लड़ाई शुरू होने जा रही है. नया रायपुर में शुक्रवार को वामपंथी उग्रवाद प्रभाग (LWE) की हाई लेवल बैठक हुई, जिसमें नक्सलवाद के खिलाफ संयुक्त रूप से ऑपरेशन शुरू करने की रणनीति बनाई गई. केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और आईबी चीफ तपन कुमार डेका के नेतृत्व में हुई इस बैठक में मानसून के बाद नक्सलियों के खिलाफ बड़े स्तर पर ऑपरेशन चलाने का निर्णय लिया गया है. इस बैठक में 4 राज्यों के डीजीपी, केंद्रीय सुरक्षा बलों के शीर्ष अधिकारी, इंटेलिजेंस एजेंसियों के प्रतिनिधि और नक्सल ऑप्स से जुड़े आला अधिकारी मौजूद रहे.

ऑपरेशन होगा और आक्रामक

इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस ऐलान को ध्यान में रखकर रणनीति तैयार की गई है, जिसमें उन्होंने 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य तय किया है. सूत्रों के अनुसार, बैठक में नक्सल ऑपरेशनों को और आक्रामक बनाने, सीमावर्ती राज्यों में नक्सलियों की घेरेबंदी और खुफिया सूचनाओं के बेहतर आदान-प्रदान पर जोर दिया जा रहा है. खासकर छत्तीसगढ़–ओडिशा, छत्तीसगढ़–तेलंगाना और मध्यप्रदेश के बालाघाट से लगे इलाकों में नक्सलियों की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए संयुक्त फोर्स की कार्रवाई और चुनौतीपूर्ण हो गई है.

बैठक में CRPF, BSF, ITBP के शीर्ष अधिकारी, IB, NIA के निदेशक और राज्यों के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहे.

इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशन पर फोकस

अधिकारियों का मानना है कि नक्सलियों के खिलाफ सफल ऑपरेशन तभी संभव है जब यह पूरी तरह इंटेलिजेंस बेस्ड हो. इसके लिए आईबी और अन्य खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट्स के आधार पर फोर्स को मूव किया जाएगा, ताकि जंगलों और सीमावर्ती क्षेत्रों में छिपे नक्सलियों पर सटीक और प्रभावी कार्रवाई हो सके.

इसके साथ ही नक्सल प्रभावित राज्यों के बीच बेहतर समन्वय और समय पर सूचनाओं के आदान-प्रदान की प्रणाली विकसित करने पर भी मंथन किया गया. सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि यदि यह तंत्र मजबूत हो जाए तो नक्सली किसी भी क्षेत्र में सुरक्षित ठिकाना नहीं बना पाएंगे.