रायपुर- कृषि विशेषज्ञों ने धान की खेती करने वाले किसानों को बीजों को नमक के घोल से उपचारित करने के बाद बोआई करने की सलाह दी है. कृषि वैज्ञानिकों ने आज जारी कृषि बुलेटिन में किसानों को धान के बीजों को उपचारित करने की घरेलू विधि बतायी है. उन्होंने कहा है कि धान के बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल में डालना चाहिए. घोल को लकड़ी से हिलाने के कुछ देर बाद ठोस बीजों कोे निकालकर साफ पानी में दो बार धोकर छाया में ही सूखाकर उपचारित किया जा सकता है.
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि प्रदेश में अधिकांश स्थानों में दो-तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है. इससे खरीफ फसलों की बोनी में गति आयी है. किसानों को धान की कतार बोनी में सीड ड्रिल एवं दानेदार उर्वरकों का उपयोग करने का सुझाव दिया गया है. उन्होंने कहा है कि धान के थरहा के लिए नर्सरी लगाने का उचित समय है. नर्सरी लगाने के लिए मोटे धान 50 किलो तथा पतले धान 40 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिए. रोपा धान में सकरी पत्ती वाले एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के नियंत्रण के लिए नर्सरी डालने के तीन से सात दिन के अंदर ब्यूटाक्लोर दवा तीन लीटर और 500 लीटर पानी मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए.
मशीन से रोपाई करने के लिए मैट टाइप नर्सरी डालना लाभदायक होता है.सोयाबीन एवं अरहर बोने के लिए जल निकास की व्यवस्था करने के बाद बीजों का छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी गई है. सोयाबीन एवं अन्य दलहनी फसलों का कल्चर से उपचार करके बोआई करनी चाहिए. राइजोबियम कल्चर पांच ग्राम एवं पीएसबी 10 ग्राम से एक किलो बीज का उपचार किया जा सकता है. गन्ने की नई फसल में आवश्यकता अनुसार निदाई-गुड़ाई एवं मिट्टी चढ़ाने के लिए भी उपयुक्त समय है.