Census 2027 : भारत सरकार ने आगामी जनगणना 2026 के पहले चरण की तारीख तय कर दी है। रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त श्री मृत्युंजय कुमार नारायण ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर बताया कि हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन और हाउसिंग जनगणना 1 अप्रैल 2026 से शुरू होगी।

भारत सरकार ने जनगणना 2027 को अधिसूचित कर दिया है। केंद्र सरकार दो फेज में जातीय जनगणना कराएगी। नोटिफिकेशन के मुताबिक, पहले फेज की शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से होगी। इसमें 4 पहाड़ी राज्य- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं। वहीं 1 मार्च 2027 से दूसरा फेज शुरू होगा। इसमें देश के बाकी राज्यों में जनगणना शुरू होगी। यह 2011 के बाद देश की पहली जनगणना होगी। इससे पहले रविवार को गृहमंत्री अमित शाह ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 16वीं जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की थी।

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पहले चरण और दूसरे चरण में क्या होगा ?

पहला चरण– मकान सूचीकरण काम जिसे हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (एचएलओ) भी कहा जाता है। इसमें हर घर की स्थिति, सुविधाएं और संसाधनों की जानकारी ली जाती है। वहीं दूसरा चरण- जनसंख्या गणना का है, यह चरण 1 फरवरी 2027 से शुरू होगा। इसमें हर व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक जानकारी ली जाएगी।

बता दें कि, केंद्र ने 30 अप्रैल 2025 को जातीय जनगणना कराने का ऐलान किया था। देश में आजादी के बाद यह पहली जातीय जनगणना होगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि जातीय जनगणना को मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा।]

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क्या है मकान सूचीकरण काम?

इस चरण में सरकार यह पता लगाएगी कि घर की दीवार, छत और फर्श किस सामग्री की बनी है। घर में कितने कमरे हैं, कितने लोग रहते हैं, घर में शादीशुदा जोड़े हैं या नहीं, क्या घर का मुखिया महिला है या वह अनुसूचित जाति/जनजाति से है।

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जनगणना क्यों है जरूरी?

जनगणना का होना बहुत ही जरूरी है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। इसे हर 10 साल में किया जाता है। इस हिसाब से 2021 में अगली जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था। जनगणना के आधार पर चुनावी निर्वाचन क्षेत्र बनाए जाते हैं और एससी और एसटी कैटेगरी के लिए सीटें रिजर्व की जाती हैं। शिक्षा से लेकर ग्रामीण विकास तक के मंत्रालय स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का पता लगाने के लिए जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हैं। संविधान का अनुच्छेद 82 सबसे हालिया जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन अनिवार्य करता है। अनुच्छेद 330 और 332 एससी और एसटी के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात के आधार पर विधानसभाओं में सीटें रिजर्व करते हैं।

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जनगणना कैसे की जाती है?

जनगणना को पूरा करने के लिए करीब 30 लाख जनगणना करने वालों की जरूरत होगी। इसमें ज्यादातर स्कूल के टीचर्स को तैनात किए जाने का अनुमान है। इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट और सब डिस्ट्रिक्ट लेवल पर लगभग 1,20,000 वर्कर हैं। यह जनगणना के काम का मैनेजमेंट, देखरेख या मदद करते हैं।

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2011 में सामाजिक-आर्थिक गणना हुई, आंकड़े जारी नहीं

गौरतलब है कि, मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना करवाई गई थी। इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने करवाया था। हालांकि इस सर्वेक्षण के आंकड़े कभी भी सार्वजनिक नहीं किए गए। ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर इसके SC-ST हाउसहोल्ड के आंकड़े ही जारी किए गए हैं।

जनगणना एक्ट 1948 में SC-ST की गणना का प्रावधान है। ओबीसी की गणना के लिए इसमें संशोधन करना होगा। इससे ओबीसी की 2,650 जातियों के आंकड़े सामने आएंगे। 2011 की जनगणना के अनुसार, 1,270 SC, 748 एसटी जातियां हैं। 2011 में SC आबादी 16.6% और एसटी 8.6% थी।

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