दिल्ली. करतारपुर कारीडोरका बुधवार को शिलान्यास हुआ। इस अवसर पर पाक प्रधानमंत्री इमरान खान, सेना अध्यक्ष कमर जावेद बाजवा और भारत में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, हरदीप सिंह पुरी व पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू मौजूद रहे। इस दौरान संबोधित करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि सृष्टि को अगर बदलना है तो दृष्टि को बदलना होगा।
पाक पीएम इमरान खान को सिद्धू ने धन्यवाद दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि बहुत दुश्मनी हो चुकी अब खून खराबा बंद होना चाहिए। सिद्धू ने कहा कि मैं हिंदुस्तान की सरकार को धन्यवाद देता हूं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा कि करतारपुर कॉरिडोर सिखों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना मुसलमानों के लिए मदीना। उन्होंने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर खुलना मदीना का बॉर्डर खुलने जैसा है।
पूर्व क्रिकेटर रह चुके इमरान ने कहा कि दोनों देशों के बीच कश्मीर एक मसला है। दोनों देशों की सरकार इस मुद्दे को मिल बैठकर हल कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि जर्मनी-फ्रांस साथ आ सकते हैं तो हम क्यों नहीं। हमें अपने गरीब तबके का सोचना होगा, गरीबी कम करने का सोचना होगा। दोनों मुल्क एक-दूसरे से काफी कुछ सीख सकते हैं, भारत एक-कदम आगे बढ़ाएगा तो हम दो कदम आगे बढ़ाएंगे।
इमरान खान ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू को विशेष बधाई, वो मेरे शपथग्रहण से कुछ महीने पहले वापस गए तो उन्हें काफी कुछ सुनाया गया, सिद्धू शांति का पैगाम लेकर आए थे, यह कोई जुर्म नहीं है। सिद्धू यहां काफी लोकप्रिय हैं। सिद्धू पाकिस्तान में चुनाव लड़ें तो भी जीत जाएंगे।
दूसरी ओर इस मौके पर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा मोदी सरकार ने पिछले सात महीने से लगातार इस पर काम किया। हरसिमरत कौर ने कहा कि गुरु नानक का बुलावा आया तो मैं यहां आई हूं, इस कॉरिडोर में मदद के लिए पाकिस्तान का धन्यवाद। अपनी सरकार और पाकिस्तान की सरकार को पूरे कौम की तरफ से बधाई देती हूं, जब बर्लिन की दीवार गिर सकती है तो भारत-पाकिस्तान दोस्त क्यों नहीं हो सकते। पाकिस्तान की सरकार को सलाह है कि भारत की तरह आप भी गुरु नानकजी के नाम पर सिक्का या पोस्टेज स्टांप जारी करें।
करतारपुर गलियारे से भारतीय सिख श्रद्धालु करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब तक वीजारहित यात्रा कर सकेंगे। इस गलियारे के 6 महीने के भीतर बनकर तैयार होने की उम्मीद है। भारत ने इस गलियारे का प्रस्ताव पाकिस्तान को करीब बीस वर्ष पहले दिया था.