वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं के साथ पहुंचते हैं. यहां की एक विशेष मान्यता भक्तों के बीच लंबे समय से प्रचलित है – अगर ठाकुरजी को खास प्रसाद अर्पित किया जाए तो कार्यसिद्धि और सफलता निश्चित रूप से मिलती है.

क्या है प्रसाद की परंपरा

भक्तों का विश्वास है कि इस विशेष प्रसाद में माखन-मिश्री, पेडे और पंचमेवा शामिल होते हैं. ये वही सामग्रियां हैं जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय माना गया है. कई बार छप्पन भोग या विशेष संकल्प के साथ अर्पण भी किया जाता है.

कब और कैसे चढ़ाया जाता है प्रसाद

यह प्रसाद प्रायः विशेष अवसरों, जैसे नवरात्रि, जन्माष्टमी, अन्नकूट या व्यक्तिगत संकल्प की पूर्ति के समय चढ़ाया जाता है. भक्त पहले स्नान-ध्यान करके शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं, फिर प्रसाद को स्वच्छ पात्र में रखकर मंदिर पहुंचते हैं. वहां पुजारी की देखरेख में यह ठाकुरजी को अर्पित किया जाता है. चढ़ावे के दौरान भक्त अपनी मनोकामना का संकल्प बोलते हैं और फिर प्रसाद का एक हिस्सा मंदिर में वितरित कर, शेष भाग परिवार व जरूरतमंदों में बांटा जाता है.

भक्ति और आस्था का सवाल

मंदिर ट्रस्ट की ओर से कार्यसिद्धि के दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है, लेकिन श्रद्धालु मानते हैं कि ठाकुरजी का यह विशेष भोग उन्हें सफलता और सौभाग्य प्रदान करता है. कई भक्त अपने अनुभवों के आधार पर इसे चमत्कारी मानते हैं.