देवरिया. देश के विभिन्न धार्मिक स्थलों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं. सबका अपना इतिहास है. जो अपने आप में अनोखा है. मंदिरों से जुड़ी किवदंतियां और वहां की श्रुतियां उस तीर्थ स्थल को प्रख्यात बनाती हैं. वैसे तो सभी मंदिरों के प्रति भक्तों की समान आस्था रहती है. लेकिन कभी-कभी हम उन तीर्थों के इतिहास या कहानियों से ज्यादा प्रभावित हो जाते हैं. ऐसा ही एक सिद्धपीठ है देवहरी माता का. जहां की अपनी विशेष पहचान है.
उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया को यू तो देवनगरी की संज्ञा दी जाती है. इसके पीछे कारण भी है, जिसके तहत ये कई विभूतियों/महात्माओं की तपोस्थली भी रही है. इसी जिले में स्थित है माता देवरही का मंदिर. बिहार से सटे इस जिले में इस मंदिर को जागता मंदिर भी कहा जाता है. श्रद्धालुओं के मुताबिक वो यहां जो भी मनोकामना करते हैं माता उसे पूरा करने की सम्पूर्ण व्यवस्था करती है.
पवहारी महाराजा की देखरेख में हैं मंदिर
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवारण्य कहा जाने वाला देवरिया जनपद का अस्तित्व सीधे सिद्धपीठ देवरही मंदिर से जुड़ा है. ये पीठ प्राचीनकाल से जनपदवासियों की श्रद्धा का केंद्र है. चैत्र और शारदीय नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ माता के आशीर्वाद के लिए उमड़ती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये पीठ देवी सती से जुड़ा है. सिद्धपीठ पिछले दो सौ वर्षों से पवहारी महाराज के कुशल निर्देश में संचालित हो रहा है.
खुदाई में मिले थे देवी के चरण
मंदिर और पवहारी महराज से वर्षों से जुड़े अतुल तिवारी ने बताया कि बाल्मिकी रामायण में सरयू के किनारे इस भूमि को देवाण्य कहा गया है. साधु-संत, ऋषि-मुनी और देवताओं ने यज्ञ कर के इस भूमि को शुद्ध किया था. यज्ञभूमि के नाम से विख्यात देवारण्य बदलते समय के साथ अपभ्रंश के तहत देवार, देवरिया और देउरिया कहा जाने लगा. बताते हैं कि प्राचीनकाल में यह देवारण्य जंगल के रूप में था. शहर के उत्तर में जंगलों में खुदाई के दौरान देवी के दो चरण मिले. बाद में उन चरणों की पूजा-अर्चना एक पिण्डी के रूप में यहां की जाने लगी. धीरे-धीरे देवी के चरणों में चमत्कार होने लगा. पीठ की प्रसिद्धि फैलने लगी और यह देवरही सिद्धपीठ कहलाया.
मंदिर तक कैसे पहुंचे
देवरिया जिले में स्थित इस पीठ पर अपनी हाजिरी लगाने के लिए बस और ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है. इसके अलावा सीधा साधन अगर उपलब्ध नहीं होता तो गोरखपुर तक आप आ सकते हैं. जहां से आप बस या ट्रेन लेकर महज 1 घण्टे में देवरिया आ सकते हैं और रेलवे स्टेशन से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर माता का सिद्धपीठ स्थापित है. इसके अलावा हवाईमार्ग से भी अगर आना चाहे तो कुशीनगर का अंतरार्ष्ट्रीय हवाई अड्डा और गोरखपुर एयरपोर्ट तक पहुंचकर आप पब्लिक कन्विंस या गाड़ी बुक कर माता के दरबार में हाजिरी लगा सकते हैं.
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