सुप्रिया पांडेय, रायपुर। कोरोना काल में बहुत सी बातें पहली बार हो रही है. अंतत चतुर्दशी को गणेश विर्सजन के साथ गूंजने वाला जयकारा ‘गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ’ अबकी बार गणपति की स्थापना से पहले ही मूर्तिकारों के पंडाल में गूंज रहा है. वजह है लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी प्रशासन के आदेश से आधी-अधूरी रह गई बड़ी मूर्तियां, जिन्हें अगले साल पूरा कर मूर्तिकार मुनाफे की उम्मीद लगाए हुए हैं.
मूर्तिकार संदीप भाला ने बताया कि बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना काल में मूर्तियों की बिक्री नहीं होने से नुकसान तो हो ही रहा है. उन्होंने बताया कि प्रतिमाएं बनाने की तैयारी काफी पहले शुरू हो जाती है. लेकिन जब जिला प्रशासन के द्वारा आदेश जारी किया गया कि 4 बाई 4 की मूर्तियां ही इस बार विराजमान होंगी, तो बड़ी मूर्तियां का काम जहां तक हुआ था, हमने वही तक बनाकर उसे छोड़ दिया. जब बड़ी मूर्तियां स्थापित नहीं होंगी, तो बनाने का क्या फायदा. उन्होंने कहा कि अब सामानों के खर्च के अलावा लेबर पेमेंट करना है, आज शाम तक ही मूर्तियों की बिक्री उम्मीद है. उसके बाद हमें काफी नुकसान उठना पड़ेगा.
वहीं मूर्तिकार नरेश चक्रधारी ने बताया कि बस नाममात्र की ही बिक्री हुई है. हमारी यही आजीविका है. हम साल भर पहले से ही मूर्ति बनाने का काम करते हैं, लेकिन इस बार हमारा बहुत पैसा डूबा है. अब जो मूर्तियां अधूरी हैं, उन्हें अगले साल ही पूरा किया जा सकता है. अभी बड़ी मूर्तियां नहीं बिक रही है और पहले की तरह रौनक भी नहीं है. पता नहीं अगले साल भी ऐसा ही रहा तो हमें भारी नुकसान का सामना करना होगा.