सरायपाली। एक समय था जब सरायपाली के गणेशोत्सव की दूर-दूर तक धूम हुआ करती थी. भव्य व विशाल रूप में विभिन्न स्थानों पर प्रतिमाएं स्थापित की जाती थी. पूरे 9 दिनों तक विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन रात से लेकर सुबह तक आयोजित हुआ करता था. दूर-दूर से लोग सरायपाली के गणेशोत्सव देखने आते थे.

सरायपाली के गणेशोत्सव को भव्य, विशाल व आकर्षक बनाये जाने के जनक ‘नगर सेठ’ के नाम से प्रसिद्ध सोहनलाल मोतीलाल (मोतिया सेठ) नगर की सबसे बड़ी व भव्यतापूर्ण मूर्ति बिठाया करते थे. उनके निधन के बाद से ही  सरायपाली का गणेशोत्सव धीरे-धीरे सीमित हो गया है. अब गिनती के ही 2-4 सार्वजनिक गणेश के पंडाल दिखाई देते हैं.

मोतिया सेठ के मार्गदर्शन में होने वाले आयोजन उनके निधन के बाद फीके हो गए हैं, लेकिन आज भी उनके परिजन अपने-अपने घरों में उसी भव्यता के साथ विभिन्न आकर्षक मूर्तियां – जैसे मुम्बई के लाल बागचा राजा, पुणे के दगदु सेठ व मराठी पुणे शैली में विभिन्न मूर्तियां स्थापित की गई है, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.