गौरव जैन. गौरेला-पेंड्रा. गौरेला-पेंड्रा जिला बन गया है, लेकिन बिजली गुल होने का सिलसिला थम नहीं रहा. हर घंटे बिजली जाने से लोगों से परेशान हैं. वहीं पीने के पानी की समस्या से भी लोगों को दो चार होना पड़ रहा है.

पिछले दिनों तेज बारिश और आंधी तूफान से कई स्थानों पर पेड़ों के गिरने और बिजली के खंभे उखड़ने से दिनभर मेंटेनेंस का काम चला, जिसके कारण लोग परेशान रहे. बिजली न रहने से पीने की पानी की आपूर्ति नहीं हो पाई.

बिजली की ऐसी दशा क्यों है ये पूछने पर विद्युत विभाग के अधिकारी ने बताया कि 220 किलोवाट पावर स्टेशन से जिला मुख्यालय की दूरी बहुत है. बिजली की लाइन के किनारे लगे वृक्षों की डालियां तार पर गिर जाती हैं. हवा के तेज झोकों से वृक्ष की डालियां तार के ऊपर लटक जाती हैं, जिससे बिजली सप्लाई बंद हो जाती है. फाल्ट की तलाश कर बिजली को बहाल किया जा रहा.

गौरेला में विद्युत स्टेशन की जरुरत
बिजली की स्थाई समाधान के लिए जिला मुख्यालय गौरेला में अथवा समीपवर्ती गांव में 132 किलोवाट विद्युत स्टेशन स्थापित करने की आवश्यकता है. विद्युत संभाग पेन्ड्रारोड के तदाशय के प्राक्कलन पर प्रशासकीय और राजनैतिक पहल करना चाहिए. भार बढ़ने पर सर्वाधिक कठिनाई और दबाव गौरेला के 11 किलो वाट के सब स्टेशन पर होता है. इसके लिए बिजली पेण्ड्रा के फीडर से ली जाती है. इससे दोनों नगरों में समस्या उत्पन्न हो जाती है.

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