देश में बेरोजगारी का मुद्दा इतना बड़ा है कि, जो पार्टी रोजगार देने का वादा करती है जनता उसकी सरकार बना देते हैं। और अगर बात सरकारी नौकरी की हो तो व्यक्ति किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है। ऐसा ही कुछ मामला महाराष्ट्र में देखने को मिल जहां करियर की भूख में कलयुगी मां ने सरकारी नौकरी की लालच में पहले 20 दिन के अपने नवजात बच्चे के अपहरण का ड्रामा रचा और फिर वैनगंगा नदी में मासूम को फेंककर ऐसे लौटी जैसे कुछ हुआ ही नहीं।

जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के गोंदिया गोंदिया तहसील के ग्राम डांगुर्ली में नर्स का काम करने वाली 22 साल की रिया फाये ने अपने ही 20 दिन के नवजात बेटे “विराज” की जीवन-रेखा काट दी। पकड़े जाने पर पुलिस से उसने कहा- “मुझे जॉब करना था… बच्चा मेरी लाइफ में बाधा था”

अपहरण की झूठी कहानी

18 नवंबर की सुबह, रिया थाने पहुंची और कंपकंपाती आवाज़ में बोली- साहब..“कोई मेरा बच्चा उठाकर ले गया!” 17 नवंबर की रात 10:15 से 10:40 के बीच अज्ञात पर चोरी का आरोप लगाया। रावणवाडी पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर लिया और नवजात शिशु एवं अज्ञात आरोपी की खोज शुरू की गई। लेकिन जांच शुरू होते ही पुलिस ने नोटिस किया- कांपते हुए हाथ थे, पर आंखों में आंसू नहीं। घबराहट थी… पर मातृत्व की वो तड़प नहीं।

जांच के दौरान प्राप्त गुप्त सूचना और रिया के बयान और उसके बर्ताव ने एक ही तथ्य पर उंगली उठाई… बाहर वाला नहीं , यह खेल घर के अंदर ही हुआ है। पुलिस ने रिया को डिटेन कर जब कड़ाई से पूछताछ शुरू की तो वह टूट गई और फिर सामने आया ऐसा सच और जिसने पुलिस वालों की रूह कांप गई।

करियर के लिए मासूम की बलि

रिया ने बताया कि, राजेंद्र सिंह और उसके बीच लव था , प्रेमी मजदूरी करता था और रिया पढ़ी-लिखी है और उसने नर्सिंग का डिप्लोमा किया हुआ है। शादी से पहले राजेंद्र सिंह ने आश्वासन दिया था कि मैं गोंदिया में रहूंगा और तू किसी अस्पताल में जॉब करना। 2024 की शुरुआत में प्रेम विवाह रचाने के बाद वह दो माह तक गोंदिया में रही। इसके बाद पति पत्नी में झगड़ा हुआ तो वह बिना बताए मायके चली गई। मायके वालों ने आने नहीं दिया तो ग्राम बिरसी में अपने मामा के यहां चली गई। तब वह डेढ़- से दो माह की प्रेग्नेंट थी तो उसके मामा ने कहा कि वह उसका एबॉर्शन भी करवा देगा। इसी बीच पति ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी तो पुलिस वाले आए दिन मायके के घर पर जा रहे थे। दबाव बढ़ता देख वह वापस पति के पास आ गई।

मां ही बनी बेटे की कातिल

छोटा गांव होने से उसे दवा नहीं मिली , इस बीच जब भी वह जांच के लिए गोंदिया आई तो पति भी साथ आने लगा और घर में रहने की वजह से रिया के पास पैसे भी नहीं थे। देखते-देखते तीन माह से ऊपर हो गए तो गर्भपात की संभावना भी खत्म हो गई। इसलिए उसने बच्चा होने दिया। जैसे ही बच्चा हुआ उसके दिमाग में ऐसा पहले से फिट था कि बच्चे को ठिकाने लगा दूंगी और आगे जाकर अपना करियर बनाऊंगी।

डांगुर्ली ब्रिज पर मौत का फैसला, शिशु को नदी में फेंका

17 नवंबर की रात गांव सो रहा था..मां जाग रही थी वह भी हत्या की नीयत से .. नवजात शिशु को खत्म करने का प्लान तैयार था। वह पीछे के दरवाजे से निकली। 20 दिन का मासूम ‘ विराज ‘ उसकी गोद में था। ठंडी, अंधेरी, शांत रात और घर से कुछ दूरी पर स्थित वैनगंगा नदी…ब्रिज पर वह कुछ सेकंड खड़ी रही…फिर अपने ही बेटे को नदी में फेंक दिया और वापस घर में आ गई बिल्कुल शांत, बिल्कुल सामान्य जैसे यह सब उसके रूटीन का हिस्सा हो। इतना खौफनाक, इतना सुनियोजित षड्यंत्र सुनकर पुलिस भी सुन्न रह गई।

नदी से मिला, 20 दिन का छोटा सा निर्जीव शरीर

रिया के कबूलनामे के बाद बचाव दल और स्थानीय मछुआरों गोताखोरों की मदद से वैनगंगा नदी में तलाश अभियान चलाया। पुल के नीचे नदी के पानी में नवजात ‘ विराज ‘ का निर्जीव शरीर बरामद करने में पुलिस ने सफलता हासिल की। फिलहाल पुलिस ने मां रिया फाये को गिरफ्तार कर लिया गया है।

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