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विक्रम मिश्रा, लखनऊ. लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में अगर सबसे ज्यादा किसी की चर्चा हुई तो वो है CM vs Dy CM. तो क्या बजट सत्र के बाद सब all is well हो गया ? मुख्यमंत्री योगी अपनी अस्तुति के आधार पर लगातार प्रशासनिक तुरपाई में व्यस्त हैं. साथ ही दिल्ली को भी साधने की जिम्मेदारी उन्होंने अपने कंधों पर उठा ली है. प्रशासन में काम कर रहे योगी के सहयोगी अधिकारियों का पटल भी बदला जा रहा है. लेकिन इन सबके बाद भी स्वास्थ्य और ग्रमीण अभियंत्रण, खाद्य प्रसंस्करण एवं मनोरंजन विभागों को लिस्ट से दूर रखा गया है.
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बता दें कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का और ग्रामीण अभियंत्रण खाद्य प्रसंस्करण एवम मनोरंजन विभाग केशव प्रसाद मौर्य के विभाग है. जो कि जनता से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. स्वास्थ्य महकमे की बदहाली को लेकर अक्सर खबरे सुर्खियों में रहती हैं. लेकिन इसके बाद भी सूबे चलने वाली तबादला एक्सप्रेस का रूट इस ओर नहीं रखा गया. स्वास्थ्य विभाग में प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा और ब्रजेश पाठक के बीच अनबन की खबरे भी खूब सामने आती हैं. जबकि उत्तर प्रदेश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की तस्वीरों से कोई अनजान नहीं है.
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खाद्य विभाग की बात करें तो पीडीएस सिस्टम विभाग तो उत्तर प्रदेश की जनता की जीविका से जुड़ा हुआ है. बता दें कि मोदी और योगी का पीडीएस सिस्टम ही सरकार की नींव है. जिसके आधार पर दो बार विधानसभा और 3 बार लोकसभा में भाजपा सम्मानजनक स्थिति में रही है. लेकिन पिछले दिनों ही देवरिया, पिपराइच, कुशीनगर के ग्रामीण अंचलों में खराब खाद्यान्न की आपूर्ति की खबरे आई थी. बावजूद इसके यहां के जिम्मेदारों पर कोई बदलाव नहीं हो रहा है.
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